ज्योतिष संबंधी लोक-विश्वास Jyotish Sambandhi Lok Vishwas भारतीय समाज में बहुत गहराई से जुड़े हुए हैं। ये विश्वास ज्योतिषीय सिद्धांतों पर आधारित होते हैं, जो ग्रहों, नक्षत्रों, राशियों और खगोलीय घटनाओं के आधार पर व्यक्ति के जीवन के विभिन्न पहलुओं को प्रभावित करने का दावा करते हैं। ज्योतिष संबंधी लोक-विश्वास लोगों के विवाह, स्वास्थ्य, व्यवसाय, शिक्षा और दिन-प्रतिदिन के कार्यों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
1- राशि और ग्रहों का प्रभाव
भारतीय ज्योतिष में व्यक्ति की राशि और उस पर प्रभाव डालने वाले ग्रहों का विशेष महत्व है। यह विश्वास है कि किसी व्यक्ति के जीवन में उसकी राशि और उसके अनुसार ग्रहों की स्थिति महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। जन्म के समय ग्रहों की स्थिति को ध्यान में रखते हुए व्यक्ति की कुंडली बनाई जाती है, और उसके आधार पर भविष्यवाणियाँ की जाती हैं। किसी विशेष समय पर ग्रहों की स्थिति को देखकर जीवन के निर्णय लेने की परंपरा है।
2- ग्रहों की दशा और दशा परिवर्तन
भारतीय ज्योतिष में ग्रहों की दशाओं का व्यक्ति के जीवन पर सीधा प्रभाव माना जाता है। हर व्यक्ति के जीवन में विभिन्न ग्रहों की अलग-अलग दशाएं होती हैं, और इन दशाओं का प्रभाव व्यक्ति की आर्थिक स्थिति, स्वास्थ्य, और संबंधों पर पड़ता है। जैसे, शनि की साढ़ेसाती या मंगल दोष के बारे में यह माना जाता है कि यह समय जीवन में कठिनाइयाँ और संघर्ष लेकर आता है। इसके प्रभाव से बचने के लिए विशेष पूजा, अनुष्ठान और उपाय किए जाते हैं।
3- कुंडली मिलान और विवाह
विवाह के लिए कुंडली मिलान भारतीय समाज में एक महत्वपूर्ण ज्योतिषीय लोक-विश्वास है। यह माना जाता है कि यदि वर-वधू की कुंडलियां आपस में मेल खाती हैं, तो उनका वैवाहिक जीवन सुखी और सफल होगा। कुंडली मिलान में गुणों की गणना की जाती है, और 36 में से 18 गुणों का मिलान शुभ माना जाता है। इसके अलावा, मंगल दोष भी एक प्रमुख कारक होता है, जिसे देखा जाता है कि कहीं वर या वधू पर मंगल का प्रभाव तो नहीं है, क्योंकि इसे वैवाहिक जीवन के लिए अशुभ माना जाता है।
4- मुहूर्त और शुभ समय
ज्योतिष के अनुसार, किसी भी महत्वपूर्ण कार्य को शुरू करने के लिए शुभ मुहूर्त का निर्धारण करना आवश्यक होता है। यह विश्वास है कि अगर शुभ मुहूर्त में कोई कार्य किया जाए, तो वह सफल होता है और उसमें किसी प्रकार की बाधा नहीं आती। विवाह, गृह प्रवेश, यात्रा, व्यापार शुरू करने आदि के लिए ज्योतिषी से शुभ समय निकलवाना एक आम प्रचलन है।
5- मंगल दोष और इसके उपाय
भारतीय ज्योतिष में मंगल ग्रह को उग्र और शक्ति का प्रतीक माना जाता है। यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में मंगल दोष होता है, तो यह माना जाता है कि उसके वैवाहिक जीवन में संघर्ष और समस्याएँ आ सकती हैं। मंगल दोष से बचने के लिए लोग विशेष उपाय करते हैं, जैसे मंगल की पूजा, व्रत रखना, और विशेष धार्मिक अनुष्ठानों का पालन करना। कुछ लोग मंगल दोष से बचने के लिए कुंभ विवाह या वट वृक्ष विवाह जैसे उपाय भी अपनाते हैं।
6- शनि का प्रभाव और साढ़ेसाती
भारतीय ज्योतिष में शनि ग्रह को न्याय का देवता माना गया है। यह लोक विश्वास है कि शनि की साढ़ेसाती के दौरान व्यक्ति के जीवन में कठिनाइयाँ और संघर्ष बढ़ जाते हैं। शनि की साढ़ेसाती तब शुरू होती है जब शनि व्यक्ति की राशि से बारहवें, पहले और दूसरे घर में होता है, और यह सात साल की अवधि तक चलती है। इस दौरान शनि देव की पूजा, हनुमान चालीसा का पाठ, और दान-पुण्य करने से शनि के प्रभाव को कम करने की कोशिश की जाती है।
7- राहु-केतु का प्रभाव
ज्योतिष में राहु और केतु को छाया ग्रह माना जाता है, और इनका व्यक्ति के जीवन पर गहरा प्रभाव होता है। यह विश्वास है कि यदि किसी की कुंडली में राहु और केतु का नकारात्मक प्रभाव होता है, तो उसे मानसिक तनाव, दुर्घटनाएँ, और असफलताएं झेलनी पड़ती हैं। राहु-केतु के बुरे प्रभाव से बचने के लिए ज्योतिषी सलाह देते हैं कि लोग राहु-केतु की शांति के लिए विशेष पूजा और यज्ञ करें।
8- रत्न धारण करने का विश्वास
भारतीय ज्योतिष में यह मान्यता है कि ग्रहों के प्रभाव को नियंत्रित करने के लिए विभिन्न रत्न धारण किए जा सकते हैं। यह लोक विश्वास है कि किसी ग्रह के अनुकूल रत्न पहनने से उसके शुभ प्रभाव बढ़ जाते हैं और जीवन की समस्याएं कम हो जाती हैं। जैसे, नीलम शनि के लिए, पन्ना बुध के लिए, और मोती चंद्रमा के लिए धारण किया जाता है। रत्न धारण करते समय ज्योतिषी से परामर्श किया जाता है ताकि सही रत्न और धातु का चयन किया जा सके।
9- सूर्य और चंद्र ग्रहण का प्रभाव
भारतीय समाज में सूर्य और चंद्र ग्रहण के दौरान कई प्रकार के लोक-विश्वास जुड़े हुए हैं। यह माना जाता है कि ग्रहण के समय भोजन नहीं करना चाहिए, बाहर नहीं जाना चाहिए, और धार्मिक अनुष्ठानों का पालन करना चाहिए। गर्भवती महिलाओं को विशेष सावधानियां बरतने की सलाह दी जाती है, क्योंकि यह माना जाता है कि ग्रहण का उनके शिशु पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। ग्रहण समाप्त होने के बाद घर की शुद्धि और स्नान करना भी एक लोक-विश्वास है।
10- नवग्रह पूजा और उपाय
भारतीय ज्योतिष में नौ ग्रहों की पूजा का विशेष महत्व है। यह विश्वास है कि यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में ग्रहों की स्थिति प्रतिकूल है, तो नवग्रहों की पूजा करने से उसका प्रभाव कम हो जाता है। इसके साथ ही, विभिन्न ग्रहों के लिए विभिन्न दान करने की परंपरा भी है। जैसे, शनि के लिए काले तिल, राहु के लिए नारियल, और चंद्रमा के लिए चावल का दान किया जाता है।
11- अंक ज्योतिष और जीवन का भाग्य
ज्योतिष के साथ-साथ अंक ज्योतिष भी भारतीय लोक-विश्वासों में प्रमुख भूमिका निभाता है। यह विश्वास है कि व्यक्ति के जीवन में उसके जन्म की तारीख, नाम के अक्षरों और अन्य महत्वपूर्ण संख्याओं का भाग्य पर प्रभाव होता है। अंक ज्योतिष का उपयोग करके लोग अपने नाम की वर्तनी में बदलाव करते हैं या अपने घर और व्यवसाय के लिए विशेष संख्याओं का चयन करते हैं, ताकि जीवन में सौभाग्य और समृद्धि प्राप्त हो सके।
12- स्वप्न और उनके ज्योतिषीय संकेत
भारतीय ज्योतिष में स्वप्नों का भी एक महत्वपूर्ण स्थान है। यह विश्वास है कि स्वप्न व्यक्ति के भविष्य के बारे में संकेत देते हैं। ज्योतिष के अनुसार, कुछ स्वप्न शुभ होते हैं और कुछ अपशकुन का प्रतीक होते हैं। जैसे, सपने में सर्प देखना शुभ माना जाता है, जबकि आग या पानी देखना किसी खतरे का संकेत माना जाता है। स्वप्नों के आधार पर लोग ज्योतिषीय सलाह लेते हैं और उनके उपाय भी करते हैं।
13- दिशा और वास्तु का महत्व
भारतीय ज्योतिष और वास्तुशास्त्र में दिशाओं का विशेष महत्व है। यह विश्वास है कि यदि घर या व्यापार स्थल की दिशा अनुकूल न हो, तो जीवन में समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। वास्तु दोष को दूर करने के लिए लोग घर या कार्यालय की दिशा और संरचना में बदलाव करते हैं। ज्योतिषीय उपायों के अनुसार वास्तु दोष निवारण के लिए विशेष यंत्र, पूजा, और रत्नों का उपयोग भी किया जाता है।
14- योग और कालसर्प योग का प्रभाव
भारतीय ज्योतिष में योग और विशेष रूप से कालसर्प योग का प्रभाव महत्वपूर्ण माना जाता है। कालसर्प योग तब बनता है जब सभी ग्रह राहु और केतु के बीच में स्थित होते हैं। यह योग व्यक्ति के जीवन में कष्ट, असफलता और मानसिक तनाव का कारण बन सकता है। इससे बचने के लिए लोग विशेष पूजा और अनुष्ठान करते हैं, जैसे कि कालसर्प दोष निवारण पूजा।
15- चंद्रमा और मानसिक स्थिति का संबंध
चंद्रमा को मन का कारक माना जाता है, और यह लोक विश्वास है कि चंद्रमा की स्थिति व्यक्ति की मानसिक स्थिति पर सीधा प्रभाव डालती है। विशेषकर पूर्णिमा और अमावस्या के दिन व्यक्ति के मन की स्थिति अधिक संवेदनशील होती है। ज्योतिषी इस समय के आधार पर विशेष सलाह देते हैं, जैसे पूर्णिमा के दिन विशेष उपाय करना या अमावस्या के दिन किसी भी प्रकार का नया कार्य न शुरू करना।
ज्योतिष संबंधी ये लोक-विश्वास भारतीय समाज के विभिन्न पहलुओं को गहराई से ग्रहों के प्रकोप से हानि होती है ग्रह दशा अनुकूल होने पर सुख तथा प्रतिकूल होने पर दुःख प्राप्त होता है। वर्तमान, समय में ग्रह-नक्षत्रों के प्रति वैज्ञानिक विचारधारायें उत्पन्न हुईं हैं जो शरीर में उपस्थित तत्वों पर ग्रहों के गुणों के प्रभाव को स्वीकार करती हैं ।
शक्ति स्वरूपा माँ दुर्गा की उपासना के नौ दिन प्रत्येक कार्य हेतु शुभ माने जाते हैं संभवतः माता का आश्रय हमें आत्म बल प्रदान करता है। एक पक्ष में दो ग्रहण अशुभ है इस “लोक-विश्वास’ में संभवत: प्राकृतिक असंतुलन का भाव निहित है।
लोक-विश्वास बुन्देली लोक-जीवन के अभिन्न अंग है। जाने -अनजाने सभी निर्वाह करते हैं। मन में यह भाव रहता है, कि कहीं न मानने से अशुभ न हो जाये। क्योकि मनुष्य सदैव अपना भला चाहता है। इस कारण लोक-विश्वास मानना उसकी विवशता भी है। द्विविधा की स्थिति में तथा कभी-कभी परम्पराओं और रीति-रिवाजों के दबाव में भी मानव विश्वास करता रहता है।
अंत में हमें यह स्वीकार करना होगा कि लोक-विश्वास समाज का मन है। उन्हें जानकर हम ‘लोक’ की आत्मा और भावनाओं को सरलता से समझ सकते हैं। बुन्देली लोक-संस्कृति का आधार लोक-विश्वास ही है। इन्ही के माध्यम से हम लोक-संस्कृति व सभ्यता की विवेचन कर सकते हैं।
संदर्भ-
बुंदेली लोक साहित्य परंपरा और इतिहास – डॉ. नर्मदा प्रसाद गुप्त
बुंदेली लोक संस्कृति और साहित्य – डॉ. नर्मदा प्रसाद गुप्त
बुन्देलखंड की संस्कृति और साहित्य – श्री राम चरण हयारण “मित्र”
बुन्देलखंड दर्शन – मोतीलाल त्रिपाठी “अशांत”
बुंदेली लोक काव्य – डॉ. बलभद्र तिवारी
बुंदेली काव्य परंपरा – डॉ. बलभद्र तिवारी
बुन्देली का भाषाशास्त्रीय अध्ययन -रामेश्वर प्रसाद अग्रवाल