बुन्देली फाग साहित्य में जिन फागों को उल्टा और सीधा पढ़ने पर एक ही अर्थ का बोध हो उसे गतागत Gatagat Ki Fagen कहते है। गतागत का लक्ष्य बताते हुए आचार्य केशवदास लिखते हैं कि-
उलटौ धौ बाचिये एकहि अर्थ प्रमान ।
कहत गतागत ताहि कवि, केशव दास सुजान।।
गतागत की एक फाग का उदाहरण
धा धा धा राधा, धा राधा, धारा आ, आ राधा ।
धागा, अखिल अगम खल खा, खा, लग मग अलखि अगाधा ।
धा दास का धरा रह ला ला, हर राधका सदाधा।।