वर-वधू को साथ लेकर देवी-देवता पूजन के बाद स्त्रियाँ बहू और वर को कइयाँ लेकर नृत्य करती हैं, जो अपनी सहजता और लोकाचार से जुड़ने के कारण Devi-Devta Pujan Nritya कहा जाता है। वस्तुतः इसमें एक ओर देवता के प्रति भक्ति-भावना रहती है, तो दूसरी ओर सभी स्त्रियों के आनंद का उछाह रहता है तथा तीसरी ओर वर-वधू के मन में नया जीवन शुरू करने का उल्लास जुड़ता है। तीनों के समन्वय से भावना की त्रिवेणी लोकनृत्य में दूना उत्साह भर देती हैं।