बुंदेली फाग के जानकार करौली निवासी नम्बर दार कुंवर अमोलसिंह भदौरिया Anmolsingh Bhadoriya ने कई पुरानी फागों के संग्रह प्रकाशित कराए है। उनकी चर्चित फागों के अन्तर्गत 1 -फाग रसरंग 2 – फाग महोदधि 3 -फाग मंजरी नामक तीन संकलन उल्लेखनीय है जो कानपुर के श्रीकृष्ण पुस्तकालय से प्रकाशित है इन फागों में पौराणिक एवं धार्मिक संदर्भ ही मुख्यतः वर्णित हुए है। भाषा में बुंदेली के साथ ब्रजभाषा का सम्यक योग है। भाषा आकर्षक एवं संगीतमयी है।
फाग इकताला
जेहि दिन गये पवन सुत लंका ।
राम रजाय लियो सिरनाय बड़ा हनुमान चलंका हैं, कूदे।
मंझ धार गिरे वहिपारसी मारत एक फलका हैं सीता ।
को चीन्हा मुद्रिक दीन्हा पाय आशीश अशंका हैं।