रक्षिका माई Rakshika Mai का मतलब “रक्षा करने वाली माता” होता है। यह शब्द “रक्षिका” (जो रक्षा करने वाली हो) और “माई” (माता के लिए एक संबोधन) को मिलाकर बना है। मुख्य रूप से, यह शब्द देवी दुर्गा या काली के रूपों के लिए इस्तेमाल किया जाता है, जो भक्तों की रक्षा करने वाली मानी जाती हैं।
बुन्देलखण्ड में जब बच्चा चलने लगता है, तब महिलाएँ अपने बालक को रक्षिका माई के चरणों में डाल देती हैं और उन पर हाथ लगवाकर आपत्तियों से रक्षा हेतु उसकी कमर में काला धागा बाँध देती हैं, जिसे रक्कस देना कहते हैं। यह प्रथा ग्रामीण अंचलों में आज भी है।