वैशाख की अष्टमी या नौमी को शीतला माता के पूजन का विधान है। प्रातः मन्दिर में जाकर Shitala Mai को हलुवा, अठवाई, कौरी, फरा का भोग लगाते हैं । इसे बासेरा चढ़ाना कहते हैं । इस दिन बासी भोजन करने की परम्परा है । घर में अग्नि नहीं जलती । भोजन एवं देवी को चढ़ाने वाला प्रसाद एक दिन पूर्व रात्रि से बना लिया जाता है ।
प्राचीनकाल में चेचक आदि रोगों की शान्ति के लिए Shitala Mai शीतला माता की उपासना – अर्चना की जाती थी यह परम्परा ग्रामीण समाज में आज भी प्रचलित है। चेचक की देवी के रूप में शीतला देवी की मान्यता देश के अन्य भागों में भी है । लोक जनमानस मे यह धारणा है कि इनकी पूजा -अर्चना करने से रोगों से निदान मिलता है ।