Ramsahay Pandey रामसहाय पाण्डे

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Ramsahay Pandey रामसहाय पाण्डे
Ramsahay Pandey रामसहाय पाण्डे

रामधनी कौं कौन कमी यह कहावत देश के जानेमाने मृदंग वादक संगीत गुरु पं. रामसहाय पाण्डेय पर सटीक बैठती है। उन्हें बचपन से दुश्वारियों और मुसीबतों का सामना करना पड़ा। अँधेरों ने खूब डराया, रास्तों ने ही पैरों में जंजीरें डालीं…समय के कुचक्र ने बचपने के सुख छीने पर Ramsahay Pandey संघर्ष करते रहे। समाज ने हँसी – खिल्लियाँ खूब उड़ायी…। आपको 2021 मे पद्मश्री सम्मान से भारत सरकार ने सम्मानित किया ।

पद्मश्री श्री रामसहाय पाण्डे
Padmshri Shri Ramsahay Pandey 

रामधनी कौं कौन कमी
जितनी भी बाधाएँ हो सकतीं हैं उन सभी ने इस सुरीले इंसान को जमकर रौंदा..मगर संगीत का यह महान साधक न डरा, न घबराया, न विचलित हुआ। अपनी सच्ची लगन की बदौलत राष्ट्रीय स्तर पर मृदंग वादक के रूप में पहचान अर्जित की। राई जैसे पारंपरिक नृत्य को मृदंग के साथ लयकारी देकर एक नया इतिहास गढा।आज महान संगीत पुरोधा श्री रामसहाय पाण्डेय किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। देश – दुनिया में उनके लाखों चाहने वाले हैं।अनेक राष्ट्रीय स्तर के खिताब और पुरस्कार उन्हें प्राप्त हुए हैं। संगीत के इस अनन्य साधक को बुंदेली झलक की ओर से अनेक बधाइयाँ।

जीवन… एक संघर्ष कथा
श्री रामसहाय पाण्डे का जन्म 11 मार्च 1933 को एक गरीब ब्राह्मण परिवार में हुआ । इनका जन्म एक छोटे से गाँव ग्राम मडधार पठा में हुआ था । इनके पिता का नाम लालजू पाण्डे व माता का नाम करैयाबाली था । इनके पिता खेती व गाँव के ही मालगुजार के यहां काम करते थे। इनके परिवार में चार भाई व बहनें थीं।  रामसहाय पांडे सबसे छोटे थे । इनकी बड़ी बहिन कनेदादेव में ब्याही थीं, मंजली बहिन जमुनिया,  तीसरी बहिन पड़रिया व हल्की बहिन गंज में व्याही थीं । गरीबी के कारण लालजू पाण्डे के एक भी लड़के की शादी नहीं हुई थी।

श्री रामसहाय पाण्डे
श्री रामसहाय पाण्डे

जीवन की राहों पर
जब बालक रामसहाय पाण्डे 6 वर्ष के थे तो इनके पिता का स्वर्गवास हो गया तब इनकी माँ अपने चारों बेटों को लेकर अपनी बड़ी बेटी बेनीबाई के पास कनेरादेव आ गई । यहां पर आकर इनके बड़े बेटे कन्हैया , माधव , हरीराम ग्राम के ही एक कन्हैयालाल  घोषी के यहां काम करने लगे और रामसहाय का स्कूल में दाखला करवा दिया, इनके बड़े भाई कन्हैया का स्वर्गवास हो गया और इनके मंजले भाई एक मंदिर में चले गये और बाबा हो गये । अब केवल ये दो भाई बचे हुए थे ।

जब रामसहाय 11 वर्ष के थे और दूसरी कक्षा में आये तो इनकी माँ का भी स्वर्गवास हो गया । जब बालक रामसहाय पाण्डे 12 वर्ष के हुए तो सागर के पास सानीधा के मेले में गाँव वलों के साथ बैलगाड़ी के पीछे – पीछे मेला देखने चले गये , यहां पर राई नृत्य देखकर बालक रामसहाय ने प्रण कर लिया कि अब मैं भी राई करुंगा वहां से लौटकर बस स्कूल जाने के समय में रास्ते में कमर को मृदंग मानकर रियाज करने लगे ।

जब बहुत दिनों तक स्कूल नहीं गये तो स्कूल से खबर आई कि आप का भाई बहुत दिनों से स्कूल नहीं आ रहा है इसलिए इसका नाम स्कूल से काटा जा रहा है । तो इनके बड़े भाई ने बहुत मारा, मगर पाण्डे स्कूल नहीं गये । तो इनके भाई ने इन्हें गाय चराने के लिए जंगल भेजने लगे मगर रामसहाय को तो मृदंग का भूत सवार था।

श्री रामसहाय पाण्डे
श्री रामसहाय पाण्डे

जिद और जुनून
ये अपना मृदंग बजाने का रियाज करते रहे । इनके बड़े भाई जो मात्र हरीराम पाण्डे बचे थे इन्होंने समझाने की बहुत कोशिश की, मारा – पीटा, प्यार से समझाया कि अपन ब्राह्मण हैं तुम मृदंग बजाना मत सीखो । तब भी श्री रामसहाय नहीं माने और धीरे – धीरे एक दिन वह मृदंग बजाना सीख गये । तब इनकी उम्र 17-18 वर्ष की थी ।

यह मृदंग के साथ – साथ अखाड़े में भी रियाज करते रहे । एक बार गाँव की ही बारात रायसेन जिले के ग्राम पिपरिया बड़गुवां गई थी । वहां पर राई का मुकाबला रखा गया और उस मुकाबले में इनकी जीत हुई और उस मुकाबले के बाद रामसहाय गाँव – गाँव राई करने जाने लगे और धीरे – धीरे पूरे क्षेत्र में विख्यात होने लगे।

श्री रामसहाय पाण्डे
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सामाजिक प्रतिबंध
जब यह 20-21 साल के हुए तो बड़े भाई की शादी के बाद इनके भाई ने इनकी शादी की बहुत कोशिश की , मगर कोई भी ब्राह्मण अपनी लड़की देने को तैयार नहीं था । बड़ी मुश्किल से ग्राम घाना के पं. केशवदास अपनी लड़की एक शर्त पर शादी करने को तैयार हो गये कि आपका भाई अब राई नहीं करेगा, तो सबने हाँ कर दी । मगर शादी होने के बाद फिर से रामसहाय घर से जाकर राई करने जाने लगे तो इनके बड़े भाई परेशान हो गये, मगर पाण्डे जी नहीं माने ।

तब इनके बड़े भाई ने श्री रामसहाय एवं उनकी पत्नी दोनों को घर से निकाल दिया, न खाने को दिया, न पहनने को, न ओढ़ने – बिछाने को दिया । तब पाण्डे जी अपनी पत्नी को लेकर एक घोषी से सहारा लिया और अलग रहने लगे और गांव के ही कोटवार की बैलगाड़ी चलाने व मजदूरी को जाने लगे और इनकी पत्नी घर पर रहकर बीड़ी बनाने लगी कुछ समय शादी के 6 वर्ष बाद इनके यहां बच्ची हुई , धीरे – धीरे समय बदल रहा था और इनके यहां 5 लड़कियां 4 लड़के हुए , एक बड़ा परिवार बन गया और यह मजदूरी कर अपने बच्चे पालते रहे ।

जब बच्चे बढ़े हुए तो वो भी बीड़ी बनाने लगे । धीरे – धीरे समय बीता । उसी दौरान इनका परिवार भी बढ़ गया था इनकी बड़ी बेटी शादी की हुई तो पाण्डे जी ने शादी के बहुत प्रयास किये मगर कोई भी ब्राह्मण शादी करने को तैयार नहीं था । बड़ी मुश्किल से गाँव वालों ने मिलकर झूठ बोलकर कि अब वो राई से बहुत दूर है, तब शादी हुई।

श्री रामसहाय पाण्डे
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जीवन का महत्वपूर्ण मोड़
उसके बाद इनके बचपन के मित्र जो एक साथ पढते थे हीरा सागर जी । हीरा सागर जी पढ़ – लिख कर भोपाल आकाशवाणी में प्रड्यूसर के पद पर नौकरी करने लगे थे। एक बार यह सागर आये और पाण्डे जी से मिलने इनके गाँव जा पहुचे तो चर्चा के दौरान भोपाल आकाशवाणी में गायक के रूप में बुलाने की बात हुई और फिर हीरा सागर जी ने पाण्डे जी को सन् 1958 में आकाशवाणी भोपाल बुलाया।

जिस तारीख को बुलाया , उस तारीख में भोपाल तो पहुंचे मगर किन्हीं कारणों से कार्यक्रम स्थगित हो गया था । उसकी सूचना प्राप्त नहीं हो पाई थी और पाण्डे जी भोपाल पहुंच गये तो इन्हें वापिस कर दिया गया । अब पैसे थे नहीं , तो कहीं से हीरा सागर जी ने पैसे की व्यवस्था की और खाना भी खिलाया । वहां से लौटने के कुछ समय बाद इन्हें फिर बुलाया गया और ये पहुंचे तो भोपाल आकाशवाणी में कार्यक्रम दिया।

1964 में आकाशवाणी भोपाल द्वारा भोपाल के रविन्द्र भवन में रंग – फुवार उत्सव में इन्हें राई नृत्य के लिए बुलाया गया । इनकी प्रस्तुति मुख्यमंत्री श्री गोविन्द नारायण जी की उपस्थिति में की गई तो बहुत तारीफ हुई । उसके बाद निरन्तर आकाशवाणी एवं पंचायत तथा समाज सेवा विभाग के कार्यक्रमों में जाने लगे ।

उसके बाद पाण्डे जी के लगातार कार्यक्रम चलते रहे और सन् 1980 में मव्यप्रदेश शासन द्वारा स्थापित आदिवासी लोककला परिषद् के सदस्य चुने गये व सन् 1980 में ही मध्यप्रदेश शासन के पंचायत सेवा विभाग द्वारा रायगढ़ में म. प्र.शासन द्वारा नित्य शिरोमणि की उपाधि से सम्मानित किया गया।

उसके बाद सन् 1984 में म.प्र.शासन द्वारा शिखर सम्मान से सम्मानित किया गया । उसके बाद सन् 1984 में ही जापान फाउण्डेशन के आमंत्रण पर एक माह के लिए जापान भेजा गया । उसके बाद निरन्तर पाण्डे जी देश – विदेशों में अपनी प्रस्तुतियां देते रहे।

श्री रामसहाय पाण्डे
श्री रामसहाय पाण्डे

सन् 2006 में म.प्र . शासन द्वारा दुबई गये। I.C.C.R. भारत सरकार द्वारा हंगरी , स्विलैण्ड गये। राजीव सेठी जी के नेतृत्व में फ्रांस, री-यूनियन, डेनिस, मॉरिसस आदि देशों में अपनी प्रस्तुतियां दे चुके हैं। सन् 2012 में संगीत नाटक अकादमी, नई दिल्ली द्वारा राष्ट्रीय टैगोर सम्मान से सम्मानित किये गये। म.प्र . शासन द्वारा सन् 2015 में राष्ट्रीय तुलसी सम्मान से सम्मानित किये गये।तथा कई अन्य राष्ट्रीय सम्मानों से विभूषित हो चुके हैं। सीनियर फैलोशिप आवार्ड सन् 2000 में मिला।
सन 2000 में एक संस्था की स्थापना की । बुन्देली लोक नृत्य व नाट्य कला परिषद् के नाम से जिसमें छात्र – छात्राओं को प्रशिक्षण दिया व प्रदर्शन भी कराये और अभी भी निरंतर चल रहा है ।

श्री पाण्डे जी के ऊपर पी.एच.डी.करने देश के छात्र – छात्राएं आयीं । कई पुस्तकों में इनकी जीवनी लिखी गई । म.प्र शासन ने भी पाठ पुस्तक में इन्हें जगह दी । यह निरंतर अपनी प्रस्तुतियां देते चले आ रहे हैं । इन्हें सभी सांस्कृतिक केन्द्र निरन्तर कार्यक्रमों की प्रस्तुति के लिए आमंत्रित करते चले आ रहे हैं । यह कार्यक्रमों की प्रस्तुति के साथ – साथ संस्था में आज भी बच्चे प्रशिक्षण ले रहे हैं ।

उत्तर मध्यक्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र द्वारा इन्हें दो बार गुरु – शिष्य परम्परा प्राप्त हुई है । पहले राई नृत्य के लिए , अब मृदंग वादन के लिए अभी भी इस उम्र में श्री पाण्डे जी अपनी मंचीय प्रस्तुतियां दे रहे हैं । इनकी संस्था के पास स्वयं का भवन नहीं है । यह किराये के भवन में अपनी संस्था में आने वाले सभी छात्र – छात्राओं को प्रशिक्षण दे रहे हैं ।

श्री रामसहाय पाण्डे
श्री रामसहाय पाण्डे

नाम                        पद्मश्री  रामसहाय पाण्डे अंतर्राष्ट्रीय राई नर्तक
पिता का नाम               श्री लालजू पाण्डे
शिक्षा                        दूसरी पास
जन्म तारीख                 11 अप्रैल 1933
गुरू                         श्री कन्हैयालाल जी
पता                          ग्राम कनेरादेव पो. तिली जिला सागर (म.प्र.)

 

श्री रामसहाय पाण्डे
श्री रामसहाय पाण्डे


सम्मान :
सन 1960 में बड्गुआ पिपरिया में लोक नृत्य राई की पहली प्रस्तुति।
सन 1964 में रविन्द्र भवन में आकाशवाणी भोपाल द्वारा आयोजित कार्यक्रम में प्रस्तुति।
सन 1980 में म.प्र. शासन द्वारा रायगढ़ में नित्य षिरोमणी की उपाधि से सम्मानित ।
सन 1984 में जापान फाउन्डेसन व निप्पन संस्कृति केन्द्र द्वारा सम्मानित।
जापान में 5 नवम्बर से 1 दिसम्बर 1984 तक लोक नृत्य राई का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्षन ।
सन 1984 में म.प्र. शासन द्वारा षिखर सम्मान से सम्मानित ।


सन 2000 में नवोदित लोक कला संस्थान द्वारा ईसुरी सम्मान से सम्मानित।
सन 2005 में डॉ. हरिसिंह गौर वि.वि. द्वारा सम्मानित।
सन 2006 में सहकारिता मंत्री द्वारा गढ़ाकोटा में राज्यकला षिरोमणी से सम्मानित।
सन 2007 में दुबई में आयोजित ग्लोवल विलेज में लोक नृत्य राई का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्षन ।
सन 2008 में भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद, नई दिल्ली द्वारा हंग्री व स्विटजरलैण्ड में लोक नृत्य राई की सर्वश्रेष्ठ प्रस्तुति।


सन 2008 में दीपावली उत्सव, एषिन हेरीटेज फाउंडेषन नई दिल्ली द्वारा री-युनियन फ्रांस में लोक नृत्य राई का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन ।
सन 2012 में संगीत नाटक अकादमी नई दिल्ली द्वारा कोलकाता में राष्ट्रीय टैगोर सम्मान से सम्मानित किया गया ।
सन 2015 में गणतंत्र दिवस पर मध्य प्रदेश शासन द्वारा भोपाल में राष्ट्रीय तुलसी सम्मान से सम्मानित किया गया।

श्री रामसहाय पाण्डे
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कार्यक्रम प्रदर्शन
1 – सन् 1980 में म.प्र.आदिवासी लोक कला परिषद भोपाल द्वारा पहला आयोजन राहतगढ़ जिला सागर में स्वांग उत्सव का आयोजन किया गया जिस में मेरे द्वारा 5 लोक नाट्य स्वांगो का मंचन किया गया ।
2- पंचायत एवं समाज सेवा संचालनालय विभाग द्वारा आयोजित लोक उत्सव सन् 1985 सागर संभाग में स्तरीय प्रतियोगिता में मेरे द्वारा दो लोकनाट्य स्वांगो का मंचन किया गया ।
3- सन् 1985 में संगीत नाट्क आकादमी द्वारा आयोजित लोक उत्सव में मेरे द्वारा लोक नाट्य स्वांग का प्रदर्षन किया गया ।
4- संचालनालय खेल कूद एवं युवक कल्याण विभाग मण्प्रण् द्वारा जिला स्तरीय युवा सांस्कृतिक प्रतियोगिता का आयोजन सागर में किया गया जिसमें मेरे द्वारा दो लोक नाट्य स्वांगो का मंचन किया गया और प्रथम स्थान प्राप्त किया।


5 – पंचायत एवं समाज सेवा द्वारा संभाग स्तरीय प्रतियोगिता का नौगांव जिला छतपुर में आयोजन किया गया जिसमें मेरे द्वारा लोक नाट्य स्वांग व राई नृत्य का प्रदर्षन किया गया ।
6 – सन 1986 सागर में गणतंत्र दिवस परेड के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम में स्कूली बच्चों के लिए लोक नृत्य राई का निर्देषन किया ।
7 – गणतंत्र दिवस समारोह भोपाल में 1987 में 26 जनवरी की झांकी में लोक नृत्य का निर्देषन किया ।
8 –  सन 1990 में हस्त षिल्प विभाग भोपाल द्वारा आयोजित संगाष्ठी एवं क्रेता विक्रेता सम्मेलन के अवसर पर पचमड़ी में राई नृत्य का प्रस्तुत किया ।


9 – कोयम्बतूर में रोट्रेक्ट क्लब द्वारा आयोजित परम्परा उत्सव में लोक नृत्य राई व स्वांग की प्रस्तति दी ।

श्री रामसहाय पाण्डे
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10 – सन 1992 में रंग विदूषक द्वारा आयोजित रंग षिविर में लोक नाट्य स्वांग की मुद्राएं, गतियॉ आदि प्रस्तुतियों में भाग लिया ।
11 – सन 1996 में प्रीत संस्था जबलपुर द्वारा स्कूली बच्चों को प्रषिक्षण षिविर में लोक नाट्य स्वांग व राई नृत्य की मुद्राओं आदि का प्रषिक्षण दिया ।
12 – सन 2000 में नगर पंचायत सोनकच्छ जिला देवास द्वारा अयोजित राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में मेरे द्वारा लोक नृत्य व स्वांग की प्रस्तुती की गई जिसे प्रथम स्थान प्राप्त हुआ ।
13 – सन 2003 में बुंदेली लोक नृत्य व नाट्य कला परिषद द्वारा आयोजित दस दिवसीय षिविर में 70 स्कूली बच्चों को लोक नृत्य व लोक नाट्य स्वांग का प्रषिक्षण दिया ।
14 – सन 2003 मे एनण्एसण्डीण् दिल्ली द्वारा आयोजित उत्सव रंग षिविर में मेरे निर्देषन में 5 स्वांगों व लोक नृत्य राई का प्रदर्षन किया गया ।


15 – गणतंत्र दिवस समारोह नई दिल्ली 2003-04 में राजपथ पर 111 बच्चों को परेड में लोक नृत्य राई की प्रस्तुति हेतु कोरियोग्राफर के रूप में उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र इलाहाबाद द्वारा मनोनीत किया गया ।
16 –  अन्तर्राष्ट्रीय उत्सव समारोह हंग्री एवं सुवजरलैंड में भारतीय संस्कृतिक संबंध परिषद नई दिल्ली द्वारा 1 अगस्त से 30 अगस्त 2008 तक राई की प्रस्तुति दी ।
17 – अन्तर्राष्ट्रीय दीपावली उत्सव री-युनियन फ्रांस में एषियन हेरीटेज फाउंडेषन नई दिल्ली द्वारा अक्टूवर 2008 में राई नृत्य की प्रस्तुति दी ।
18 – फिल्म गैस कांड में राजपाल यादव के आमंत्रण पर मुम्बई में 23 मार्च से 3 अप्रैल 2009 तक राई नृत्य की प्रस्तुति दी ।


19 – 12 से 14 जनवरी 2009 तक अमरकंटक में मानव संग्रहालय, भोपाल द्वारा आयोजित कार्यक्रम में भाग लिया व् लोक नृत्य राई की प्रस्तुति।

श्री रामसहाय पाण्डे
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20 –  31 जनवरी 2009 में संगीत नाटक अकादमी, नई दिल्ली द्वारा आयोजित कार्यक्रम लोक नाट्य स्वांग की प्रस्तुति।
21 –  भोजपुर उत्सव में संस्कृति संचालानालय द्वारा आयोजित कार्यक्रम में 25 फरवरी 2009 को प्रस्तुति।
22 –  राकेश सेठी के माध्यम से अभिनेता राजपाल यादव के साथ में मुंबई में एक फिल्म में कार्य किया।
23 –  दक्षिण मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, नागपुर द्वारा रायचूर में आयोजित कार्यक्रम में तीन दिवसीय प्रस्तुति।


24 –  28.08.2009 से 02.09.2009 तक दक्षिण मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, नागपुर द्वारा गोवा में आयोजित कार्यक्रम में प्रस्तुति।
25 –  उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र. इलाहबाद द्वारा बलिया में आयोजित कार्यक्रम में 03.10.2009 से 04.10.2009 तक प्रस्तुति।
26 – उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, इलाहबाद द्वारा आयोजित हस्त शिल्प मेले में कार्यक्रम में 21.12.2009 से 22.12.2009 तक प्रस्तुति।


27 – 31.12.2009 को भोपाल में एक निजी कार्यक्रम में बधाई नृत्य की प्रस्तुति
28 –  राजस्थान पर्यटन विभाग द्वारा आयोजित नागोर मेले, अजमेर में 25 जनवरी 2010 को प्रस्तुति।
29 –  सांस्कृतिक केंद्र, उदयपुर द्वारा आयोजित पुष्कर मेले में 30.31 जनवरी 2010 को प्रस्तुति।
30 –  कर्नाटक सरकार द्वारा आयोजित कनकगिरी मेले में 22.23 फरवरी 2010 को प्रस्तुति।

श्री रामसहाय पाण्डे

31 –  उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र. इलाहबाद द्वारा आयोजित कार्यक्रम में 14 मार्च 2010 को दल द्वाराआल्हा गायन की प्रस्तुति।
32 –   जवाहर कला केंद्र, जयपुर द्वारा आयोजित कार्याक्रम में 31 मार्च 2010 को प्रस्तुति।
33 –  14-15 मई 2010 को शहीद भवन भोपाल में प्रस्तुति।
34 –   उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, इलाहबाद द्वारा आयोजित एक दिवसीय कार्यक्रम में 22 मई 2010 को प्रस्तुति।


35 –   24-26 मई 2010 को बंगलौर में दक्षिण मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, नागपुर द्वारा आयोजित कार्यक्रम में प्रस्तुति।
36 –   दक्षिण मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, नागपुर द्वारा आयोजित लोक यात्रा उत्सव में 01.अक्टूबर 2010 को रायपुर में,  04.अक्टूबर 2010 को नागपुर में, 05.अक्टूबर 2010 को अमरावती में प्रस्तुति।
37 –   09 अक्टूबर 2010 को मैसूर में आयोजित दशहरा उत्सव में कार्यक्रम प्रस्तुति।
38 –  22 अक्टूबर 2010 को भारत लोक संस्कृति उत्सव, कोलकाता में प्रस्तुति।


39 –   उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, इलाहबाद द्वारा बलिया में आयोजित कार्यक्रम में 15.16 नवम्बर 2010 को प्रस्तुति।
40 –  इंदिरा गाँधी मानव संग्रहालय, भोपाल द्वारा इटारसी में आयोजित कार्यक्रम में 12.नवम्बर 2010 को प्रस्तुति।

श्री रामसहाय पाण्डे
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41 –   16 मार्च 2011 को हिंदी साहित्य अकादेमी, नई दिल्ली द्वारा मंडी हाउस में आयोजित कार्यक्रम में लोक नाट्य स्वांग की प्रस्तुति।
42 –   01.फरवरी 2011 से 28.फरवरी 2011 तक kingdom of dreams में बधाई नृत्य का प्रदर्शन।
43 –   साहित्य अकादमी द्वारा आयोजित पुस्तक मेला, प्रगति मैदान में 25.मार्च 2012 को प्रस्तुति।


44 –  27.मार्च 2012 को दक्षिण मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, नागपुर द्वारा आयोजित लोक नाट्य उत्सव, सागर में लोक नाट्य स्वांग ढोंगी बाबा की प्रस्तुति।
45 –   सांस्कृतिक केंद्र पटियाला द्वारा इंदिरा गाँधी स्टेडियम, नई दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम में 11.अप्रैल.2012 को पी. चिदंबरम के समक्ष प्रस्तुति।
46 –   दक्षिण मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, नागपुर द्वारा छत्तीसगढ़ में आयोजित लोक यात्रा उत्सव में 02.अक्टूबर.2012 से 10.अक्टूबर.2012 तक प्रस्तुति।


47 –  11.12 नवम्बर 2012 को कला संस्कृति विभाग हैदराबाद द्वारा शिल्प ग्राम उत्सव में प्रस्तुति।
48 –   13 फरवरी 2013 को दक्षिण मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, नागपुर द्वारा आयोजित लोक नाट्य उत्सव, शिमोगा, कर्नाटक में लोक नाट्य स्वांग ढोंगी बाबा की प्रस्तुति।
49 –   09-13 दिसम्बर 2013 को सांस्कृतिक केंद्र, पटियाला द्वारा कुरुक्षेत्र में आयोजित कार्यक्रम में प्रस्तुति।


50 –   23 जनवरी 2014 से 05 फरवरी 2014 तक सांस्कृतिक केंद्र, उदयपुर द्वारा आयोजित कार्यक्रम में प्रस्तुति  (23-26 जनवरी तक हिम्मतनगर, गुजरात में तथा 27 जनवरी से 05 फरवरी तक गांधीनगर, गुजरात )

श्री रामसहाय पाण्डे
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51 –  12-13 फरवरी 2014 को सांस्कृतिक केंद्र, उदयपुर द्वारा आयोजित बानेश्वर मेला, डूंगरपुर में प्रस्तुति।


52 –  01-02 मार्च 2014 को दक्षिण मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, नागपुर द्वारा आयोजित माँ नवचंडी मेला, खंडवा में प्रस्तुति।

 

श्री रामसहाय पाण्डे
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श्री रामसहाय पाण्डे                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                          

बुन्देली झलक (बुन्देलखण्ड की लोक कला, संस्कृति और साहित्य)                          

1 COMMENT

  1. पद्मश्री सम्मान मिलना हमारे लिए गौरव की बात💐💐भौत भौत बधाई💐💐जय बुन्देली लोक संस्कृति
    जय बुन्देलखण्ड

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