Economic condition in Indus civilization
पुरातात्विक स्त्रोत सिंधु सभ्यता Indus Civilization की अत्यन्त समृद्ध आर्थिक दशा की ओर संकेत करते हैं। नगरीकरण सिंधु सभ्यता के स्वरूप की मुख्य विशेषता थी। नगरीकरण विकसित अर्थव्यवस्था एवं जटिल आर्थिक संगठन का परिचायक है। Sindhu Sabhyta Me Arthik Sthiti उच्च स्तरीय थी कृषि, पशुपालन के अतिरिक्त शिल्प और व्यापार सिंधु सभ्यता के आर्थिक जीवन के प्रमुख आधार थे।
स्थानीय उपयोग से अधिक पैंदावार देने वाली उन्नत एवं कारगर कृषि के द्वारा ही नगरवासियों के भरण – पोषण के लिए अनाज एवं विभिन्न शिल्पियों के लिए कच्चा माल सुलभ होता रहा होगा। नदियों के जलमार्गों एवं सड़कों के द्वारा विभिन्न क्षेत्रों के बीच व्यापारिक क्रियाकलाप होते रहे होगे। मुहरों तथा एक जैसी बांट – माप प्रणाली का भी व्यापार के विकास में योगदान था।’’ सैन्धव अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ बनाने में कृषि, पशुपालन, प्रौद्योगिक, व्यापार एवं वाणिज्य आदि का योगदान था।
कृषि agriculture
कृषि मुख्य व्यवसाय था। गेहूँ एवं जौ सिंधु सभ्यता की प्रमुख फसलें थीं। सिंधु पुरास्थलों से अभी तक नौ फसलों के साक्ष्य मिले हैं। जिनमें गेहूँ, जौ, कपास, मटर, खजूर, तिल, धान, सरसों आदि प्रमुख है। खरीफ की फसलों में कपास, धान और तिल तथा रबी की फसलों में जौ, गेहूँ, सरसों और मटर के साक्ष्य उपलब्ध है।
लोथल और रंगपुर से मृदभाण्डों एवं मिट्टी में धान के छिलकों की प्राप्ति महत्वपूर्ण है। कालीबंगा से हल से जुते हुए खेत के साक्ष्य, चोलिस्तान एवं बणावली से मिट्टी के खेत जोतने के हल के खिलौने से प्रतीत होता है कि, सिंधु सभ्यता में लोग हल से खेती करते थे। विद्वानों का मत है कि, सम्भवतः सैन्धव सभ्यता में लोग लकड़ी के हल से खेती करते थे।
सिंधु सभ्यता Indus Civilization में कृषि मजदूरी में क्या दिया जाता था? यह तो ज्ञात नहीं है किन्तु, मेसोपोटामिया में कृषि मजदूरी में ‘जौ’ दिया जाता था। सिंधु सभ्यता के पुरास्थलों से अन्नागारों की प्राप्ति यह बताती है कि, सिंधु निवासियों के लिए कृषि कितनी महत्वपूर्ण थी।
पशुपालन animal husbandry
पशुपालन सिन्धुवासियों के आर्थिक जीवन का द्वितीय महत्वपूर्ण आधार था। बैल, बकरी, गाय, भेड़, भैस, कुत्ता, बिल्ली, ऊँट, सुअर आदि का पशुपालन किया जाता था।
प्रौद्योगिकी Technology
प्रौद्योगिक दृष्टि से भी सिन्धुवासी उन्नत अवस्था थे। वे विश्व के सूत काटने तथा कपड़े बुनने वाले प्रथम लोग थे, उन्हें कपड़े रंगने का भी ज्ञान था। हड़प्पा से चाँदी के एक कलश के भीतर रखा हुआ कपड़े का एक टुकड़ा मिला था। उत्खनन से अनेक वस्तुओं में लिपटे हुए सूत के धागे मिले थे। हड़प्पा के चमकीले मृदमाण्ड सर्वाधिक पुराने माने जाते हैं। सिंधु सभ्यता से धातुओं की बनी विभिन्न वस्तुएँ प्राप्त हुई हैं। सैन्धव सभ्यता के निवासी स्वर्ण के आभूषणों को बनाने में सिद्धहस्त थे।
मोहनजोदड़ों से ताँबे का गला हुआ एक ढेर मिला यहाँ ताम्रकारों की एक बस्ती थी। ताँबे के छेनी, बर्मा, दुधारू, चाकू, पीतल का एक चाकू, खिलौने मछली पकड़ने के काँटे, सीलने की सुईयाँ तथा विभिन्न प्रकार के आभूषण मिले हैं। चन्हूदड़ो एवं लोथल से मनके बनाने का कारखाना मिला है। मूर्तिकला में मोहनजोदड़ो से प्राप्त काँसे की नर्तकी की मूर्ति एवं मिट्टी की मूर्तियाँ शिल्पकला की उत्कृष्टता की द्योतक है। बेलनाकार, आयताकार, वर्गाकार एवं वृत्ताकार मुहरें आदि अनेक तथ्य सिंधु प्रौद्यौगिकी का लोहा मनवाने के लिए पर्याप्त है।
मोहनजोदड़ो से सीप की एक टूटी पट्टी (पटरी) मिली है, इस पर नौ बराबर भाग बने हुए है। लोथल से हाथी दाँत की पट्टी (पटरी) मिली है। उत्खनन में मोहनजोदड़ों तथा लोथल से हाथी दाँत के बने हुए तराजू के पलड़े प्राप्त हुए है।
व्यापार – वाणिज्य trade – commerce
सिंधु सभ्यता Indus Civilization व्यापार एवं वाणिज्य प्रधान थी। सिन्धु वासियों का व्यापार एवं वाणिज्य उन्नत दशा में था। सिंधु सभ्यता में नदियों के जलमार्गों एवं सड़कों के द्वारा विभिन्न क्षेत्रों के बीच व्यापारिक क्रियाकलाप होते रहे होगे। अर्थात् व्यापार जल एवं थल दोनों मार्गों से होता था।
हड़प्पा एवं चन्हूदड़ों से ‘कांसे’ की बैलगाड़ियाँ, गाड़ीवान सहित प्राप्त हुई है। लोथल से बंदरगाह के प्रमाण तथा मुहरों पर जहाजों एवं नावों के चित्रण से सुदूर देशों के साथ सामुद्रिक व्यापार की पुष्टि होती है। सिन्धु वासियों के व्यापार एवं वाणिज्य के पुरातात्विक साक्ष्य मध्य एशिया में दजफा – फरात, फारस की खाड़ी मेसोपोटामिया, इजिप्ट, सोवियत दक्षिणी तुर्कमेनिया आदि से प्राप्त है।
मेसोपोटामिया के सुमेरीय शासक सारगोन के समय के अभिलेखों में सिन्धु प्रदेश को ‘मेलुहा’ कहा गया है। मेसोपोटामिया के अभिलेख ‘मेलुहा’ को नाविकों का देश कहते है। सिन्धु सभ्यता के लोग कई वस्तुओं यथा – सूती – वस्त्र, इमारती लकड़ी, मशाले, हाथी दाँत, पशु – पक्षी, मनके आदि का निर्यात् करते थे।
सिंधु वासी सोना – कर्नाटक (कोलार), अफगानिस्तान, फारस से, चाँदी – अफगानिस्तान, ईरान से, ताँबा – खेतड़ी (राजस्थान) बलूचिस्तान से, टिन – मध्य एशिया, अफगानिस्तान से, सीसा – राजस्थान, दक्षिणी भारत, अफगानिस्तान, ईरान से, गोमेद – सौराष्ट (गुजरात) से, जुवमणि – महाराष्ट्र से, संगयशब – पामीर से, फिरोजा – ईरान (खुरासान) से, लाजवर्ण – अफगानिस्तान (बदक्शाँ), मेसोपोटामिया आदि से आयात करते थे।