बुरे व्यक्त में फसे सियार और उसकी पत्नी Rani Chakchuiya Aur Raja Shalivahan बन कर जंगल के राजा शेर को कैसे भ्रमित करते हैं! किसी जंगल में एक स्यार अपनी स्त्री सहित रहता था। स्यार की स्त्री गर्भवती थी। जब बच्चा पैदा होने का समय नजदीक आया, तब उसने एक दिन स्यार से कहा- सोर के लिये तुमने कोई जगह नहीं देखी दिन हो चुके हैं ना जाने कब अवसर आ जाये। इससे पहले ही से जगह खोज लो।
स्यार ने लापरवाही से कहा- समय आने दो, बहुत जगह मिल जायेगी। तुम चिंता क्यों करती हो। स्यार का उत्तर सुनकर स्त्री चुप हो गई। दो-चार दिन बाद उसने फिर कहा-’देखो अब अधिक विलम्ब नहीं है। सांझ-सबेरे जगह की जरूरत पड़ेगी। जाकर कोई अच्छी सी जगह तलाश आओ । स्यार ने कहा- तुम्हें क्या करना है। तुम तो चुपचाप बैठी रहो, समय पर मैं सब ठीक कर लूँगा।
इस प्रकार बच्चा पैदा होने का दिन आ गया। स्यार की स्त्री का पेट दर्द करने लगा। उसने कहा-‘देखो मैं इतने दिन से कह रही थी कि जगह ढूँढ लो, परन्तु तुमने एक न सुनी। आज मेरा पेट दर्द करने लगा, अब क्या करूँ?’
स्यार घबराया हुआ आया। आसपास की सभी जगहें देखीं, परंतु कोई पसंद नहीं आई। पास ही में एक बाघ की चुल थी। स्यार ने दूर से झांककर देखा तो उसे मालूम हुआ कि चुल खाली है। उस समय बाघ जंगल में घूमने गया था। स्यार ने सोचा यही बाघ की चुल ठीक है। अभी स्त्री को यहाँ ले आना चाहिये, पीछे जैसा होगा देखा जायेगा। स्यार ने स्त्री को बाघ की चुल में बिठा दिया और आप दरवाजे पर रखवारी के लिये बैठ गया।
बच्चा पैदा हो चुकने पर जब स्यार की स्त्री ने अपने चारों ओर देखा तब उसे मालूम हुआ कि वह बाघ की चुल में बैठी है। वह डर कर स्यार से बोली- ‘तुमने यहाँ मौत के मुँह में लाकर बिठा दिया है? अभी समय है, कोई दूसरी जगह खोज लो। बाघ आ जायेगा तो हम सबको खा डालेगा। स्यार ने कहा-‘तू क्यों डरती है? जब बाघ आयेगा, मैं उसे देख लूँगा, तू तो चुपचाप बैठी रह। इतने में दूर से बाघ आता हुआ दिखाई दिया। स्यार ने अपनी स्त्री से कहा-‘देखो, जब बाघ नजदीक आ जायेगा,’ तब मैं तुझसे कहूँगा कि-‘रानी चकचुइयाँ, तब तुम कहना- क्या है राजा शालिवाहन। बस फिर मैं आगे सब काम बना लूँगा। स्त्री ने कहा-‘बहुत ठीक है।
जब बाघ चुल के पास आ गया तब स्यार ने जोर से कहा- ‘रानी चकचुइयाँ !’
‘क्या है राजा शालिवाहन!’ स्त्री ने कहा। उठा तो मेरा तीर-‘कमठा मारूँ साले बाघ को। यह जानकर कि मेरी चुल में रानी चकचुइयाँ और राजा शालिवाहन बैठे हैं, बाघ डर कर भाग गया। बाघ घबराया हुआ भागता जाता था, इतने में एक दूसरा स्यार मिला। उसने बाघ से हाथ जोड़कर पूछा- मालिक, आज आप इस तरह कहां भागे जा रहे हैं?
बाघ ने खड़े होकर दम भरते हुये कहा-‘क्या बतलाऊँ, आज मेरी चुल में रानी चकचुइयाँ और राजा शालिवाहन आ बैठे हैं। उनके डर से भाग आया हूँ।
स्यार ने कहा- मालिक, जान पड़ता है कि आप धोखा खा गए हैं वह तो स्यार है। चलो मेरे साथ, मैं उसकी पहिचान करा दूँ। बाघ लौट पड़ा। आगे-आगे स्यार और पीछे-पीछे बाघ चलने लगा। जब दोनों चुल के समीप पहुँचे तब स्यार ने दोनों को देखकर कहा-
रानी चकचुइयाँ! स्त्री- क्या है महाराज शालिवाहन। उठा तो मेरा तीर-कमठा, मारूँ माले स्यार को। इससे कहा था कि बारह बाघ खोज कर लाना। साला एक लेकर आया है।’ बाघ समझा- वह स्यार मुझे फँसाने के लिये धोखा देकर ले आया है। सचमुच में मेरी चुल में रानी चकचुइयाँ और राजा शालिवाहन बैठे हैं। बाघ तुरंत जी लेकर भागा।
बाघ भागा जा रहा था। इतने में उसे एक रीछ मिला। उसने पूछा- अरे बड़े भैया! कहाँ भागे जा रहे हो? बाघ ने खड़े होकर पीछे की ओर देखते हुए कहा-‘क्या बतलाऊँ यार, आज मेरी चुल में रानी चकचुइयाँ और राजा शालिवाहन बैठे हैं। मुझे पकड़वाने के लिये उन्होंने कहाँ से जासूस भेजे हैं। अभी एक स्यार मुझे धोखा देकर उनके पास ले गया था। बड़ी मुश्किल से भागकर अपने प्राण बचा सका हूँ।
रीछ बोला- वाह बड़े भैया! तुम अच्छे बेवकूफ बने हो। वह तो साला स्यार है। चलो मेरे साथ मैं उसकी पहिचान करा दूँ। बाघ बोला ‘नहीं भैया, मैं तो अब नहीं जाऊँगा। लोग मुझे धोखा देकर फँसाना चाहते हैं।
रीछ बोला -‘अजी डरते क्यों हो? चलो मेरे साथ, कभी धोखा न होगा। तुम्हें बहुत डर लगता हो तो मैं तुम्हें अपनी पूंछ से बाँधे लेता हूँ। हमारे पीछे-पीछे चले चलना। बाघ राजी हो गया। रीछ ने उसे अपनी पूंछ से अच्छी तरह कसकर बांध लिया। आगे-आगे रीछ और पीछे-पीछे बाघ दोनों चलने लगे। ज्यों ही वे दोनों चुल के पास पहुँचे त्यों ही स्यार ने कहा-रानी चकचुइयाँ।
क्या है महाराज शालिवाहन। स्त्री ने जवाब दिया। उठा तो मेरा तीर-कमठा, मारूँ साले रीछ को। कहा था बारह बाघ लेकर आना, साला एक लेकर आया है! बाघ समझा रीछ ने भी मुझे धोखा दिया है। वह घबराकर भाग खड़ा हुआ। बाघ भागता जाता था और रीछ पूंछ से बँधा रहने के कारण उसके पीछे-पीछे घसिटता जाता था। कुछ दूर घसिटते-घसिटते रीछ की पूंछ टूट गई। वह बांड़ा हो गया। बाघ ने एक कोस की दूरी पर जाकर सांस ली।
पीछे रीछ ने आकर कहा- आप बड़े डरपोक निकले, ऐसे भागे मानो वह खाए जाता हो। तुमने तो मेरी पूंछ ही तोड़ डाली। मैं सच कहता हूँ कि वह सचमुच में स्यार ही है। तुम्हें विश्वास न हो तो चलो इस बार दूर ही से उसे देखना।
इसी समय पहला स्यार भी आ पहुँचा। उसने कहा-अजी मालिक, क्यों डरते हो? अभी उसे देख आया हूँ। वह सचमुच ठीक मेरा जैसा ही स्यार है। आप हिम्मत करके चलिए तो सही, वह दुम दबा कर आप ही भाग जायेगा। पर उसे अच्छी तरह देखे बिना घबरा कर भागिए मत।
इस बार बाघ को शरम मालूम हुई। उसने साहस करके कहा- ठीक है चलो, यदि वह राजा शालिवाहन भी होगा तो इस बार उसे भी पछाड़े बिना न छोड़ूँगा। तीनों चलकर उसके पास खड़े हुए। यहाँ स्यार की स्त्री ने कहा-‘सुनते हो, अब तो तुम अपनी कुशल चाहो तो शीघ्र यहाँ से भाग चलो। यदि वह पहचान गया तो फिर हम सबकी यहाँ पटवा कैसी दुकान फैली दिखाई देगी।’
स्त्री की बात मानकर स्यार बाघ की चुल से बाहर निकल आया। उसे दूर से एक घर का भेदी स्यार तीनों आते हुए दिखाई दिये। वह शीघ्र अपनी स्त्री और बच्चे को लेकर एक पेड़ पर चढ़ गया।
थोड़ी देर में तीनों जानवर उस पेड़ के नीचे आ खड़े हुए। स्यार को पेड़ पर चढ़ा देखकर रीछ पेड़ पकड़कर नीचे खड़ा हो गया। रीछ के कन्धों पर पैर रखकर स्यार खड़ा हुआ और स्यार के कन्धों पर पैर रखकर बाघ चढ़ा। जब पेड़ पर से स्यार ने देखा कि बाघ मुझे पकड़ना चाहता है तब उसने अपनी स्त्री से कहा-
रानी चकचुइयाँ!’ ‘क्या है महाराज शालिवाहन। उठा तो मेरा तीर-कमठा मारूँ’ साले नीचे के बण्डा को। रीछ ने सोचा-‘अब मुझ पर आफत आई। मैं अकेला मुफ्त में क्यों पिटू। यह सोच वह घबरा कर भाग खड़ा हुआ। रीछ के भागते ही स्यार और बाघ भी ऊपर से लटफट होते हुए नीचे गिर पड़े और अपना-अपना जी लेकर भागे। मैदान खाली देखकर स्यार अपनी स्त्री और बच्चे को लेकर घर लौट आया। स्यार ने अपनी चालाकी से बाघ को हरा दिया।