Homeबुन्देलखण्ड का सहित्यPanidar Pani पानीदार पानी-बुंदेली व्यंग     

Panidar Pani पानीदार पानी-बुंदेली व्यंग     

इ घोर कलजुग में अब आदमी गलत काम करत भए या लाबरी बोलतइ पकरे जाने पै ‘पानी-पानी’ नइं होत है। आज कौं आदमी पानीदार नइं रओ एइसें अब Panidar Pani में सोउ पैला जैसी ताकत  और धार नइ रई।  लोग ऐसौ-बैसों पानी पीकर बीमार सोउ हो रय है। प्रदूषित पानी पी-पी कर एक दूसरे कौ पानी उतारवे में लगे रहत है।

भलेइ उनकौ खुद कौ कछु पानी न होय। वर्तमान में पानी कौ टोटो देखत भए लोग ‘होरी’ जैसे विशेष त्यौहार पे या ‘चुनाव’ के टैम एक दूसरे पर पानी के जागां पे कीचड उछालवौ जादां पसंद करत हैं जौ उनें अपने निगां आस-पास या कय कै खुदइ के भीतरे ही मिल जात है, कउ से लाने या ढूँढ़ने नइं पड़त, जो भीतरे भरो भऔ है बेइं बायरे काडबे और मैंकवे की फिराक में लगे रहत हैं।

कत है कै पानू अपनौ रंग जरूर दिखत है जा पीवे वारे पै निर्भर करत है कै वो  किते-किते कौ पानी पी चुकौ है या कितै को पानी कौ स्वाद नइ चखौ है।  कउं कौ पानी हल्को होत है तो कउं कौ पानी भारी होत है। कउ कौ भौतइ मीठा होत है तो कउ कौ नौन सौ खारो। सबको अलग-अलग असर होत है, एइसें लोग अक्सर कह है कै उनंने ‘घाट-घाट कौ पानी पियौ’ है।

पानी कौ रंग दूर से देखवे पै नीलौ जरूर दिखत है लेकिन इ पानी को पीकर आदमी काले कारनामे करन लगत है इ पानी ‘देशी लाल परी’ में मिलकै तेजाब बन जात है फिर जा तेजाब उ पीवे वारे कि बुद्धि कौ गला देत है और वो सामने वारे को कछू भी समझता और गलत कार्य करके अपने अंदर कौ पानी उतार लेत है और जो कछु थोरा-भौत गंदो पानी शेष बचत है उये पुलिस थाने में ले जाकर पुलिस उतार लेत है और शुद्ध पानी पिवा पिवा कै उके भीतरे कौ गंदा पानी बायरे निकार देत है।

पैला कओ जाततो कै पानी पियावो पुण्य कौ काम होत हतो और मेहमानों खां स्वागत सबसे पैला पानी पिया कर ही करो जाततो, लेकिन अब जौ पुण्य गदे के सीग की तरां गायब होके पइसा कमाने कौ साधन हो गऔ हैं केउ कंपनियाँ बोतलों में पानी बेच-बेच कै करोड़ों अरबों रूपए कमा रइ है।

इते तक के एक कंपनी तो गंगा कौ पवित्र जल सोउ बोतलों में भरकर बेच कर लोगों के पाप और पैसा मिटावे कौ पुण्य कार्य कर रइ है और लोग सोउ इ विशेष पानी पीके इ दुनिया से मुक्त होके सीधे स्वर्गलोक कौ रिजर्ववेशन करा रय है ताकि मरवे के बाद लोग गंगा जल पीकर सीधे सुरग में ही जावे।

सो भैया हरो पानू पनौ रंग जरुर दिखात है और पानू खौ कोउ रोक नइ सकत है। वो कउ न कउ से निकर भगत है। सो अपनौ पानू बचा के धरने है चाय गटन में चाय घरन मे। दोनो जागां कौ पानू भौत अनमोल है। 

आलेख – राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’

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