चन्दन सा हो जायेगा …..
निज हृदय तनिक नभ सा विस्तृत तो होने दो ,
सारा जग अपना ऑगन सा हो जायेगा ॥
रत्नों से बढ़कर मूल्यवान होते आँसू
जितने समेटकर भर लोगे उर झोली में ॥
उतने ज्यादा होकर- क्षण तुम तक
आवेंगे लेकर सुखमय उपहार उमर की डोली में ॥
पर पीड़ा से निज को परिचित तो होने दो ,
सूना जीवन यह मधुवन सा हो जायेगा ॥
चाँदनी चँद के संग प्यार के शत- शत क्षण ,
दुखियों की पलभर सेवा पर न्यौछावर॥
घावों को भरकर जो सुख को सरसा देते ,
रेशमी पटो से वस्त्र अधिक वे सुखकर हैं ॥
पर – सेवा जीवन में अँकुरित तो होने दो ,
ये साँसों का वन नन्दन सा हो जाएगा ॥
उसने इतना ही रूप गंध रस पाया है ,
जो जितने ज्यादा कांटो में पल हुआ बड़ा ॥
अविरल दुर्गमताओं में बढ़ने वाला ही ,
सौ – सौ तूफानों में भी डटकर हुआ खड़ा ॥
संघर्षो से तन सँस्पर्शित होने दो ,
कण-कण तन-तरु का चन्दन सा हो जायेगा ॥
कस्तूरी मृग से भ्रमित , गंध हित मत भागो ,
सांसों का सीमित कोष व्यर्थ खो जायेगा ।
तुम करो युगान्तर उर में नवचेतना जगा ,
वरना मन थके मुसाफिर सा सो जायेगा ॥
जग-ज्वाला में निज को पोषित तो होने दो ,
ये माटी का तन कंचन- सा हो जायेगा ॥