बुन्देलखण्ड में शाक्त उपासक नवरात्रि पर माई का मार्ग नामक उत्सव मनाते हैं। Mai Ka Marag में गुरु-शिष्य परम्परा के ‘अनुसार ही माई दुर्गाजी की पूजा में शाक्त लोग प्रवेश कर पाते हैं । अदक्ष दीक्षा रहित व्यक्ति को ‘माई के मार्ग’ में नहीं आने देते हैं।
इस माई के मारग में मद्य-मांस का खुलकर बिना भेदभाव के प्रयोग किया जाता है। इस उत्सव में रात को जो गीत गाये जाते हैं, उन्हें माई के मायले कहा जाता है। वह मायले बड़ी ही कठिनता से लोग बताते हैं । शक्ति की उपासना का यह ग्रामीण शक्ति यज्ञ कहा जाता है।