Lok Devta लोक देवता

 The folk deity

लोक देवता Lok Devta लोक की रक्षा एवं उनके कल्याणकारी जीवन के लिए हमेशा तत्पर रहने वाले हैं  इसी कारण भारत ही नहीं संपूर्ण विश्व में लोक देवताओं का प्रचलन है भारत में अनेक ऐसे लोक देवता है जो जनमानस मे पूज्यनीय हैं ।

लोक देवता क्या है

सम्पूर्ण विश्व में लोक देवताओं की परंपरा बहुत ही प्राचीन है सभ्यता के विकास के साथ साथ लोगों के मन में मन में भय जैसे विकार का जन्म हुआ और उस भय को दूर करने के लिए आस्था का जन्म हुआ ।  आस्था ही एक ऐसा साधन है जिससे मनोविकारों Psychotic Disorders को दूर किया जा सकता है। इन मानोविकारों को दूर करने के लिए मनोविज्ञान की प्राचीन पद्धति लोक विज्ञान सहारा लेना पड़ा। आस्था और लोक विज्ञान को मिलाकर लोक देवत्व का निर्माण हुआ।

कुछ लोकदेवता संपूर्ण समाज का  नेतृत्व करते हैं,  कुछ Lok Devta पूरे गांव का  नेतृत्व करते हैं,  कुछ देवता पूरे परिवार एवं खानदान का  नेतृत्व करते हैं और कुछ देवता जो की जाति विशेष लोक देवता होते हैं वह सम्पूर्ण जाति विशेष का  नेतृत्व करते हैं।

लोक देवताओं का क्या काम है

आदिकाल से ईश्वर के बाद लोक देवताओं का समाज में वशिष्ठ योगदान है। समाज विशेष के लोक देवताओं के कारण संपूर्ण समाज में एकता, भाईचारा एवं सौहार्द बनाए रखने में विशेष योगदान है इसी प्रकार जाति विशेष के लोक देवताओं द्वारा संपूर्ण संपूर्ण जाति विशेष को एक सूत्र में बांधने का काम लोकदेवता करते आए हैं ।  अनेक ऐसे लोग देवता हैं जो परिवार एवं संपूर्ण खानदान को एक सूत्र में बांध कर रखते हैं।

और अनेक लोक देवताओं में प्रत्येक गांव के अलग-अलग ग्राम देवता है जो पूरे गांव को एक सूत्र में बांध कर रखते हैं। प्राचीन काल से आज तक अनेक प्रचलन गांव में देखे गए हैं जैसे एक गांव के लोग दूसरे गांव में विवाह विशेष हेतु जाते हैं तो गांव के बाहर उन ग्राम देवताओं का पूजन अर्चन करते हैं।  एक दूसरे के ग्राम देवताओं के अर्चन पूजन की परंपरा आज भी दूर-दराज गांव में देखने को मिल जाती है। जो एक सामाजिक समरसता और सौहार्द का जीता जागता उदाहरण है।

भारत में प्राय: हर प्रान्त या क्षेत्र में लोक देवताओं /ग्राम देवताओं की पूजा होती है। जन मानस में श्रीराम, श्रीकृष्ण, श्री शिव, मां दुर्गा, मां काली या श्री हनुमान जी आदि देवताओं की प्रतिष्ठा है। ये देवता लोक की किसी भावना विशेष के प्रतीक है।

बुन्देलखण्ड के लोक देवताओं को निम्न वर्गों में जाना जाता है

प्रकृति देवता – भूमि, पर्वत, नदी, वृक्ष आदि ।

स्थल विशेष के देवता- गांव की देवी , खेरमाई , घटोइया , पौरिया बाबा आदि ।

जाति विशेष के देवता- कारसदेव , ग्वालबाबा , गुरैयादेव, मसान बाबा, गौड़बाबा आदि । 

शरीर रक्षक देवता- शीतला माता, मरई माता , गंगामाई आदि ।

विवाह संस्कार पर पृज्य देवता- दूलादेव , हरदौल, गौरा, श्री गणेश आदि ।

संतान रक्षक देवता- रवकारू बाबा, बीजासेन , बेइयायात आदि ।

कुलदेवता- गोसाई बाबू, सप्त मातृकाऐं ।

विध्नहरण देवता – श्री गणेश, पितृदेव, संकटा देवी आदि ।

जंगल के देवता – वन देवी

पान के खेत के देवता – नाग देवता

नदी के घाट के देवता – घटोईया / घटोरिया

राजस्थान के लोक देवता

रामदेव जी, गुसांईजी, गुरु जम्भेश्वर, गोगाजी, जीणमाता, शाकम्भरी माता, सीमल माता, हर्षनाथ जी, केसरिया जी, मल्लीनाथ जी, शिला देवी, कैला देवी, कल्ला देवी, तेजा जी, पाबूजी महाराज, खैरतल जी, करणी माता आदि ।

उत्तराखंड के देवी देवता 

कठपुड़िया देवी, कंडारदेव, ऐड़ी, ओवलिया, उल्का देवी, उज्यारी देवी, आछरी/ मातरी/ परिया, अन्यारी देवी, अटरिया देवी, अकितरि, कर्ण देवता, कसार देवी, कलबिष्ट, कलुवावीर, कालसिण, कुमासेण देवी, कैलापीर या कालावीर, कोकरसी, क्यूंसर देवता, गुरना माई, गोगा/ घोगा, गबला, गोलू देवता / गोरिल देवता , घड़ियाल, चंपावती देवी, चोफकिया, छिपुला, छुरमल, जोखई,

जगदेई, जाख देवता, झाली-माली, तिलका देवी, तुरगबलि, थात्याल, दक्षिण काली, धूरा देवी, नकुलेश्वर, नगेला, नाग/ नागर्जा, नरसिंह/ नारसिंग, निरंकार, पांडव या पंडो , पोखू, फैला, भद्राज  देवता, भासर, भूतेर, भैरव, मल्लिकाजुर्न, मणिकनाथ, महासू, मेलिया, देवलाडी, मैदानू-सैदानू, मैमन्दापीर, मोस्टमानु , रंकोची देवी, रक्षा देवी , राजराजेश्वरी नंदा देवी , लाटू देवता , समासणी , हरु सैम, गंगनाथ देवता आदि

बुन्देलखण्ड के लोक देवता 

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Bundeli Jhalak: The Cultural Archive of Bundelkhand. Bundeli Jhalak Tries to Preserve and Promote the Folk Art and Culture of Bundelkhand and to reach out to all the masses so that the basic, Cultural and Aesthetic values and concepts related to Art and Culture can be kept alive in the public mind.
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