संगीत के बिना इन फागों को नहीं गाया जा सकता। संगीत की लपेट में इन फागों का गायन होने के कारण ही इनका नाम लपेटा की फाग Lapeta Ki Fagen पड़ गया है। प्राचीन काल से ही हमारे लोक जीवन में ये फागें गायकी के रूप में प्रचलित है।
टेक –
चन्दरमा राखो विलमाय, पिया बिन होरी को खेले ।
पैला पारो लागो रैन को, बन चर आई गाय |
उठो पिया तुम लेब दोहनियां, लीली लेब लगाय । । पिया बिन
दूजौ पारो लागो रेनको, दियला मांगे तेल
आलस मांगे दोई नैग, जुबना हाती मेल ।। पिया बिन
तीज पारो लागो रैन को, पड़वा टोरी नाथ
सोबत पिया मोरे कौन जगाये, धरे जुबन में हाथ ।। पिया बिन
चौथा पारो लागो रैन को, मुरगा दीन्ही बांग,
उठो पिया तुम पाग समारौ, हमई समारे मांग ।। पिया बिन