लाल विन्द्रावन तांती लाल के प्रख्यात शिष्य और पडौसी थे। Lal Bindravan का जन्म सम्वत् 1906 माना जाता है। विन्द्रावन ने विविध प्रकार की फाग रचना की है। इनकी फागों में लोकव्यवहार, कृष्ण भक्ति, यशोदा कृष्ण प्रेम, कृष्ण माधुरी जैसे प्रसंग उल्लेखनीय हैं। इनकी भाषा में ब्रज के साथ-साथ अरबी और फारसी का भी प्रयोग मिलता है। Lal Bindravan की छन्ददार फाग का निम्न लिखित उदाहरण देखिए-
टेक :
चोरी चुरा चीर गिरधारी, छलकर गये बिहारी ।
छन्द :
चित चोर आन, कीनी है शान है अतिसुजान चढ़ गये कदम |
झठ उठा चीर, ना धरी धीर, जमुना के तीर ठांड़ी सब हम ।
उड़ान :
हम जमुना के तीर पर ठाड़ी नगन उघारी ।
चुरा चीर गिरधर जू चोरी छल कर गये बिहारी ।