Khobchandra Kavi का जन्म सम्वत् 1909 में हमीरपुर के एक सम्पन्न घराने में हुआ था। पं. रामदीन ने उन्हें फाग रचना की प्रेरणा दी। रामदीन ने इनका उपनाम रमेश रखा। खूबचन्द्र रमेश यशस्वी फागकार थे। उनकी दो रचनाएं प्रकाशित हुई- अंगचन्द्रिका और प्रेमपत्रिका ।
खूबचन्द्र ने अपनी फागों में बुंदेलखण्ड के लोक जीवन को विस्तार से चित्रित किया है। उनकी फागों में ग्रामीण महिलाओं की अभिव्यक्तियों तथा उनके आभूषणों का आकर्षक वर्णन मिलता है। उनके फाग संग्रह में नायिका विषयक यह फाग कितनी प्रभावी है ।
मोरी मान कही गैलारे, सांझ भई ना जारे।
आंगू गांव नजीक नहीं हैं, चोर लगत बटमारे।
आवे रात रतौध सास कों, पति परदेश हमारे ।
खूबचन्द्र मनमानी हू हैं, दैहों पलंग बिछारे ।