बुन्देलखण्ड में जबलपुर शहर के बड़ी Khermai खेरमाई का प्रसिद्ध सिद्धपीठ शक्ति की उपासना का सबसे पुराना केंद्र है। यहां पूजा-दर्शन-पूजन के लिए आने वाले भक्तों के हृदय में जीवित अवस्था में भी यही मान्यता झलकती है।
जिन्होंने श्रद्धापूर्वक देवी का स्मरण किया है, उन्हें अभ्युदय अवश्य प्राप्त होता है। देवेश्वरी! जो आपके विचारों को याद करते हैं, निस्संदेह आप उन्हें रखते हैं। बड़ी खेरमाई मंदिर शहर के मध्य में स्थापित एक सिद्ध स्थान है। यह कई सदियों पहले स्थापित किया गया था।
जब जबलपुर में ग्रामदेवी के यज्ञ में पूजित श्री माता खेरमाई को ग्राम की पूर्वी सीमा पर प्रकृति की मनोहर गोद में मढ़िया वन स्थान में विराजित किया गया। खेरमाई मंदिर और इसका परिसर धीरे-धीरे शैव और शैव संप्रदाय के अनुयायियों के लिए एक सिद्ध स्थान के रूप में विकसित हो रहा था। माता खेरमाई की मूर्ति की स्थापना से पहले मढ़िया में चमत्कारी पत्थर की पूजा की जाती है।
माता Khermai खेरमाई की मूर्ति के सिंहासन के नीचे आज भी सामने है। खेरमाई के गर्भगृह में स्थापित मां की प्रतिमा के बायीं ओर संकटमोचन दक्षिणमुखी हनुमान और दाहिनी ओर तांत्रिक शक्ति के प्रतीक भैरव की पाषाण प्रतिमा स्थापित है।