Jyotis Ka Chakkar ज्योतिष का चक्कर

कुछ लोग ज्योतिष मे बहुत विश्वास रखते हैं Jyotis Ka Chakkar ज्योतिष का चक्कर उनका पीछा नहीं छोड़ता ।  सीताराम हलवाई को दुकान शहर के कोने पर थी। लेकिन अपनी स्वादिष्ट मिठाई के लिए दूर-दूर तक उसका बहुत नाम था। शहर भर के लोग सीताराम हलवाई से ही मिठाई खरीदते थे। उन्हें ज्योतिषी की बात पर खूब विश्वास रहता था।

एक दिन की बात है सीताराम जी मिठाई तौल रहे थे। तभी धनीराम ने कहा सीताराम ये पंडित जी आए हैं इन्हें एक किलो रस गुल्ले दे देना ये बहत बड़े पंडित जी हैं ज्योतिष का भी इन्हें ज्ञान है इन्होने आशीर्वाद दे दिया तो बेड़ा पार समझो सीताराम हलवाई ने धनीराम की बात सुनकर फौरन एक किलो रसगुल्ले पंडित जी को दे दिए ।

सीताराम को ज्योतिष पर बड़ा विश्वास था सो उन्होंने पंडित जी के पैर पकड़ लिए और बोले “महाराज आपको मेरा भविष्य बताना ही होगा” यह कहकर सीताराम जी बार-बार पंडित जी के सामने अपनी हथेलियां फैला देते । पंडित जी बोले, जजमान मैं हाथ तो देख लूं पर मैं हमेशा सच बोलता हूं । ज्योतिष में कभी-कभी उल्टी सीधी बात भी बोलना पड़ती है।

सीताराम पीछे पड़ गये, नहीं पंडित जी आपको मेरा भविष्य बताना ही पड़ेगा जो भी सही बात हो मैं सुन लूगा कुछ भी नहीं कहूंगा पंडित जी ने सीताराम जी की हथेली देखकर कहा-जजमान सही कहूं तो आज शाम को ही तुम्हारी मृत्यु हो जाएगी । सीताराम जी ने ज्यों ही सुना वे एकदम चक्कर में पड़ गए बोले क्या मैं आज ही मर जाऊंगा खुब ज्योतिष बताया आपने मैंने एक किलो रसगुल्ले भी दिये और आपने मुझ मारने की बात बता दी पंडित जी बोले भईया मैंने तो पहले ही कहा था कि मैं सच ही बोलूगा अब तुम फोरन आज ही घर के सब लोगों से मिल लो रिश्तेदारों से मिल लो।

पंडित जी एक किलो रस गुल्ले लेकर चल दिए इधर सीताराम को चिन्ता हो गई कि अब तो वे ऊपर जाने वाले हैं इसलिए उन्होंने घर के सब लोगों को अपने पास बुलाया और बोले बच्चों अब हम तो जा रहे हैं तुम सब मिल जुलकर रहना सीताराम जी ने अपने घर के सब लोगों को रूपया पैसों का बटवारा कर दिया और फिर सो गए।

चिन्ता के मारे उन्हें स्वप्न में यमराज के दर्शन हुए वे सीताराम से कह रहे थे कि क्यों सीताराम आ गए कुछ मिठाई बिठाई लाए हो यहाँ भी तो कुछ मिठाई लेकर आना था। सीताराम बोला महाराज मैं मिठाई लाना तो भूल गया वैसे मैंने एक किलो रसगुल्ले उस ज्योतिषी को दे दिए जिसने मेरे मृत्यु की भविष्यवाणी की थी।

यमराज हंसकर बोले वाह भईया जिसने तुम्हारी मृत्य की भविष्यवाणी की उसे तुम रसगुल्ले खिला रहे हो ? तभी हलवाई को गुस्सा आ गई नहीं महाराज मैं अभी पंडित को पकड़ता हूँ। तभी सीताराम की पत्नी बोली क्यों जी शर्म नहीं आती मेरी चोटी क्यों पकड़ रहे हो

ऐसा कौन सा सपना देख रहे थे , सीताराम की नींद खुल गई उन्होंने देखा कि वे सचमुच अपनी पत्नी की चोटी पकड़े हुए थे। सीताराम जी सोचने लगे बड़ा बुरा है ज्योतिष का चककर अब न फसूगा उल्टे सीधे ज्योतिषियों के चक्कर में।असफलता केवल यह प्रदर्शित करती है कि सफलता का प्रयत्न पूरे मन से नहीं हुआ है।

बुन्देली झलक (बुन्देलखण्ड की लोक कला, संस्कृति और साहित्य)

लेखक-डॉ. राज गोस्वामी (दतिया) मध्य प्रदेश

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