कत हैं कि जो जैसो आय उए बैसो मिलई जात मने Jaise Khon Taiso मिल जात, एक गाँव में सोहन उर मोहन दोई भइया रत्ते। मताई बाप पैलाँ सुर्ग सिधार गये ते। उन्नों जादाँ पुजी पसारों तौं हतो नई। मैन्त मजदूरी करकै अपनौ पेट पालत ते। थोरी भौत किसानी हती ऊसैं चार-छैः मइना की गुजर बसर खौं नाँज मिल जात तो। इत्ते में का पूरौ पर सकत तौ उनन कौ। उनें बिटिया कौ ब्याव होबौ भौतई कठिन हतो।
ऐसे गरीबलन कैं को अपनी पटक देतौ। ईसें अपनें हाँतन ठोकत खात ते। बड़े भइया सोहन तौ भौतई भोरे भारे हते, अकेलैं हल्कौ भइया मोहन भौतई चालाँक हतौ। उनन की गाँव में रैकै गुजर बसर नई हो पा रई ती। एक दिनाँ दोई जनन ने सोसी कैं थोरौ भौत कमाबे के लाने परदेशै जाबौ चइये। सोहन बोले कै भइया हम परदेशैं जा रये, तुम अपनी घर गिरस्ती समारियौ।
मोहन ने कई कैं भइया तुम जातौ रये अकेलैं समरकैं रइयौ। आदमी भौतई स्वार्थी हो गओ। कितऊँ बेइज्जती नई करा लिइयौ। सोहन बोले कै अब हम तौ जा रये, इतै डरे-डरे हम का करें। इत्ती कैकै सोहन कलेवा करकें चलदये। उन दिनन आज कल जैसी रैलें मोटरें तौ चलतई नई हतीं। आदमी पैदल-पैदल जात्रा करत हतो। सोहन तनक सौ सतुआ बाँध कै पैदल चल दये।
निंगत-निंगत गैल में एक पेड़े तरै दुपारी बिलमाई। एक दौना में सतुआ घोर कैं खाव, उर तनक आराम करकैं आगे खौचल दये। चलत-चलत दिन बूढ़े एक शिहिर गनेश गंज में पौचे। भूके लाँगे उर हारे थके तौ हतेई। वे पूछत-पूछत एक सेठ के घरे पौंचे। उनें भोरौ-भारौ देखकैं सेठ जी भौतई खुश भये। उनें पैले दिना तौ सेठनें चार छै रोटी खाबे दै दई। वे खा पी कैं उनई की पौर में चटाई बिछा कै सो गये।
भुन्सराँ फिर ठीक ठैराब होन लगो। सेठ ने पूछी कैं तुमाई का शर्तें हैं। सोहन बोले कैं शर्तं का पत्ता भर भत्ता उर दोंना भर दार। उर जो बताव सो काम करबे खौ तैयार हैं। सेठ बोले कैं उर हमाई शर्त सुनलो, तुमें जीवन भर हमाये इतै काम करनें आय। कजनं तुम बीच में भगो तौ हम तुमाये नाक-कान काट लेय उर कजन हम तुमें बीच में भगाये सो तुम हमाये नाक-कान काट लिइयौ। दोई जनन खौ शर्तें मंजूर हो गई। सोहन तौ निगर दम्म हते। उनें का करने तौ घरै जाकै। कन जगत के जितै मिली दो उतै रये सो। सोहन नें सेठ जीकी सबरी शर्तें मंजूर कर लई उर उद्रनई सै सेठ कौ काम समारन लगे।
हतो तौ सेठ बड़ों दुष्ट, दिन भर उनें लकड़ी के बल बदरी नचाऊत रत तो। उर सोहन खाबे खौं एक बरिया कौ पत्ता टोर कैं ल्याऊ ते। जीमें उनकौ पेटई नई भरत तो, उर दोना भर दार में उनें का होत तो अदपेटाँ लगे रत्ते। जीसै उनकों शरीर टूटन लगो तो। उर पैरबो खौं उतारन के फटे पुराने उन्ना। बड़ी दुर्गति हो रईती सोहन भइया की। रात भरकाम में जुटो रने उर खाबे खौं मिलने अदपेटाँ और तो और सेठानी की धुतिया तक फींचने आऊततीं। ऐसई ऐसै काम करत करत उनें कैऊ बरसें कड़ गई। हराँ-हराँ उनकौ शरीर टूटतई गओ उर वे मरोय हो गये।
उन्ने सोसीकै कजन इतै कछू दिना और बने रैय तो मरई जैय, ईसैतौं घरई रैबो अच्छौ है। अकेलै शर्त तौ भौतई खराब हती उन्ने सोसी कै मरबे सै तो नाकई कान कटबाबौ ठीक है। वे सूदे सेठ के लिंगा जाकै कन लगें कै सेठ जी अब हम तुमाय इतै काम नई कर सकत। तुमें अपनी शर्त कौतौ पतोई है। नाक कान कटवाव उर अपने घरै जाव। सेठ हते तौ बड़ों दुष्ट उयै ऊपे तनकई दया नई आई। ऊने छुरी उठाकै सोहन के नाक कान काट लये उर कई कै घरै गैल धरो।
सोहन भूके प्यासे असुवा पोंछत मरत जियत दिन बूढ़े नौ घरै पौंच गये। अपने बड़े भइया की दुर्दशा देख कै मोहन खौ भौतई बुरओं लगो उर मनई मन बदलौ लैबे की ठान लई। सोहन अपने घर कौ रूखों सूकौ खाकै चार छै दिन में चंगे हो गये। नाक-कान की दवाई करा कै हराँ हराँ ठीक हो गई। अकेलै मोहन के जिऊ खौ साता नई हती। उन्नै अच्छे डटकै भोजन करे उर गैल के लानें दस ठौवा पूड़ी लैकै घर को ठिकानौ पूछ कै चल दये।
चलत चलत उनई सेठ के घरें पौंचे। सेठ जीतौ पैल के लबकेई हते उनें देखतनई हामी भर दई। उर उनकी शर्त पत्ता भर भत्ता उरदौना भर दार पूरियई की पूरी मान लई। नाक कान काटबे उर कटवाबे की बात तै हो गई। मोहन तौ सब बाते गौं में दैके गयई हते। वेतौ हरबात में हओ करत गये। मोहन ने पैलई दिना सै अपनी माया विस्तारबौ शुरू कर दओ। पत्ता भर भत्तां उर दौना भर दार खाबे कौ जब मौका आव सो ऊनें सगौना कौ एक बड़ो पत्ता टोर कै आ गये उर ओई कौ एक बड़ो सौदौना बना कै आ गये।
देखतनई सेठ उर सेठानी के होश ठिकाने हो गये। वे जान गये कै जौतो भौतई चालू आदमी है। अकेलै अबकर का सकतते। भुन्सरा सै जितनौ पूरे परवार खौ खाबे के लाने दार भात बनाव तो सो पूरऊ कौ पूरौ मोहन को पत्ता उर दोना में समागओ। मोहन ने डटके भोजन करे उर उनई की पौर में घुर्रा दये सोऊत रये। उर उदना तौ सेठ जी खौं रातभर भूकऊ रने आव। उनके तौ कान खड़े हो गये सोसन लगें कै जात्तौ भौतई बड़ी ब्याद आगई। अब ईसै कैसें निनुर सकत।
उदना सै उनके घरै दूनो खाना बनन लगो। अकेलै भीतरई-भीतरै उखरा बूढ़ी सीहोन लगी। सेठ जी कौ एक-एक दिन कटबौ मुश्कल हो गओ। हमेशई शंकई सी बनी रत्ती उनन केमन में सेठ जी बोले कै मोहन भइया खेत की बारी कर आव। उनके हूँका में कभऊ चूका नई परत तो। बोले हओ पैला कलेवा कर लये। उर दौर कै दौना पत्ता ल्या कै बैठ गये। उर खूबसन्ट हो कै भोजनकर कै कुलैया उर सब्बल लैके बारी करबे खौ चल दये। उन्ने खेत के चारई खूटन पै चार जार गाढ़ दये उर दिन भर जामुन तरे परे परे सोऊत रये। उरदिन बूढ़े सेठ जी सै कन लये कै चारई मूँढा सै बारी कर आये हैं।
सेठ जी जब खेतपै पौंचे सौऊवे देखतनई करम ठोक कै रै गये। सोसन लगे कै ईसै पार परबौ मुश्कल है। कजन कछूकत हैं तौ इयै अब्बई चचेड़ कै गिरने। जासोच कै चुपचाप खून कैसे घूँट पीकैं रै गये। एक-एक दिन काड़वे में कठिनाई पर रई ती उनें। अब वे डरात-डरात कोनऊ काम करबे की कत्ते।
मोहन सै एक दिना सेठ जी बोलौ कै भइया मुन्ना खौ टट्टी हौआ ल्आव मोहन बोले हओ हम तैयार हैं उर लरका कौ हात पकर कै बायरै लोआ गये। लरका सै बोले कै देख मूतिये तो हगिये नई उर हगिये तो मूतिये नई। अब लरका खौ टट्टी कैसे उतर सकतती। वे लौटकै सेठ जी सै बोलो कै बताव हम का करें भइया टट्टी जातई नइयाँ।
तनक देर में लरका फिरकऊँ ठिनकन लगो सेठ ने मोहन सै फिरकऊ कई मोहन हात पकर कै लरका खौ फिर बायरें लुआकै बेई बात कई लरका फिर बिना टट्टी गये लौट आव। तनकई देर में फिर ठिनकन लगो। सेठ जी बोले कै काय भइया मुन्ना काय ठिनक रये।
मोहन नें कर्रया कै कई कै बताव हम का करें हम तौ दो दार लोआ गये वे तौ टट्टी जातई नइया। सुनत नई सेठ खौ ताव आगओ उर कन लगे कै देखो अब की दार और लोआ जाव कजन अब टट्टी नई जाबै तो उठा कै पथरा से मार दिइयौ। मोहन तौ जा चाऊतई हते हात पकर कै झझकोरत बायरै लोआ गये उर बायरै बेई बात फिर दुहराई तनक देर तौ वे ठाढ़े रये उर फिर उठाकै लरका खौ पथरा सै मार दओ। पथरा पै गिरतनई लरका के प्रान कड़ गये। उर उयै उतऊ मरो छोड़कै रोऊत घरै पौच गये।
घरे आ कें कन लगे के भइया टट्टी जातनई हते हमने भौतकई अकेले वे नई माने सो हमने आपको हुकम मानबे के लाने पथरा से मार दओ। सो वे गिरतनई मर गये। अब बताव ईमें हमाव का दोष है? सुनतनई सेठ सेठानी जी के प्रान कड़ गये। एकइ लरका हतो सो ओई सै हात धो बैठे। सेठानी जब डिड़यात बायरै पौची उर अपने मरे लरका खौ देख कै विसूर बिसूर कै छाती पीट-पीट कै रोवन लगी। मोहन खौ भगा तौ सकत नई हते। नईतर नाक कान कटवाउने परते। सो चुपचाप छाती में गतकौ दैकै रे गये।
सेठ जी नो घुरिया पली ती ऊपै बैठकै वेबंजी करबे जात ते। एक दिना थान पै बंधी घुरिया हिन हिनान लगी। सेठ जी ने मोहन सैं कई कै भइया तनक इयै पानी दिखा आइयौ। मोहन बोले हओ। उर तुरतई घुरिया खौं छोर कैं तला के किनारें घुरिया खौं ठाँढ़ी करकै कन लगे कै देख वौ है पानी। तनकदेर उयै उतई ठाँढ़ी करें रये उर ल्या कैं ओई खूँटा सै बाँध दओ।
तनक देर में वा फिर हिन हिनान लगी। सेठ ने मोहन सैं कई कैं काय इयै पानी दिखाव नइयाँ! हम का करें सेठ जी उयैं पानी के लिंगा ठाँढ़ी करें रये वा पानी कोद देखतई नइयाँ। सेठ बोलैं उयै तुम एक दार फिर लै जाव उर अच्छी तरा सैं पानी दिखा ल्याव। उन्ने घुरिया फिरकऊ छोड़ी उर उयै एक घंटा नौ पानी के लिंग लगाम पकरैं ठाँढ़ी करे रये। उर उन्ने फिरकऊँ लौटाकैं ओई थान पै बाँधदई।
वा प्यासी तौ हतिअई फिरकऊँ हिन हिनान लगी। सेठ जी कन लगे कैं का इयै पानी दिखाव नइयाँ। मोहन बोले कै बताव हम का करें हम एक घंटानौ पानी के लिंगा ठाँढ़ी करें रये वा पानी कुदाऊ हेरतई नइयाँ। सुनतनई सेठ जी खौ गुस्सा आ गई उर वे चिल्लया कैं बोले कैं देख, कजन वा अबकी दारै पानी कुदाऊँ नई देखैं तो तुम उयै ओई तलामें घुसेड़ दिइयौ।
जा तौ मोहन चाऊतई हते। वे सूदे तला के किनारे पौंचे उर तन-तन कान उर पूँछ काटबें की शर्त करकैं दो हजार में घुरिया बैच कैं रूपइया फैंटा में कस लये। घुरिया के दोई कान उर पूँछ खां गिलारे में गाड़ कैं दौरत-दौरत सेठ जी नौ जाकैं कन लगे कैं सेठ जी हमने घुरिया खौं भौतई पानी दिखाव अकेलैं वा देखतई नई हती, सो हमने उयै ओई गिलारे में घुसेड़ दओ। वा कुजने कैसे ओई गिलारे में समा गई। गिलारे में ऊके तन तन कान उर पूँछ दिखा रई है। हमनें भौत तागत लगाई अकेलै वा खिचतई नइया।
सुनतनई सेठ जी के होश उड़ गये। सेठ उर सेठानी मोहन के संगै तला पै पौंचे सोऊ मोहन नें दूर सैं गिलारे में गढ़े कान उर पूँछ दिखा दये। सेठ जी बोले कैं अब चलो सब जनें उयै गिलारे में से खैंचियै। सेठ उर सेठानी मोहन के संगै गिलारे में घुस गये। सेठ जी ने कानन तरपै उर सेठानी पूँछ की तरपै लग गई। मोहन बगल में ठाँढ़े कन लगे कैं खैंचो-खैंचो जोर की तागत लगाव। दोई जनन ने कान और पूँछ तानी सोऊ सेठ के हाँतन में दोई कान उर सेठानी की हाँतन में कटी भई पूँछ आ गई।
उतै ठाँढ़े मोहन कन लगे कैं अरे उयै तौ ऐच आये लै गई। गिलारे में भौत बड़ी ऐंच रत, वा जानवरन खौं तरी-तरी खैंच ले जात। सेठ-सेठानी समज तौ सब गये ते अकेलै डरन के मारै ऊसैं कछू कै नई पाये। छाती में गतकौ दैकै रै गये। उर मूँढ़ पीटत रोऊत घरै लौट आये। उदनाँ उनके ना चूलौं नई परचो। उदनाँ सबरो घर भूकौ प्यासौ कुंदाकै बल पै डरो रओ।
सेठ उर सेठानी सोसन लगे कैं ई दुष्ट ने तौ हमाव खोजई मिटा दओ। सब चौपट कर दओ। कजन कछू दिना नौं और बनो रैय तौ हम दोई जनन खौ गुटक लैय जौ। शर्त कै मारे इयै भगा सकत नइयाँ। अब एक काम करें कै राते जब जौ सो जैय सो अपुन अपनी सट्टो-पट्टो बाँध कै इतै सैं भग जैंय। तबई ई दुष्ट सै प्रान बच पैय। जा सोस कैं रातई राते भगबे की तैयारी होन लगी गैल के लाने कलेवा बनन लगो। दो छबला तैयार हो गये। एक छबला में कलेवा उर दूसरे में उन्ना लत्ता धरकै रातई राते भगबे की पूरी तैयारी हो गई।
मोहन समझ तौ सब गये। वे हराँ-हराँ इँदयारे में कलेवा वारे छबला में गुड़मुड़या कैं बैठ गये। आदी राते सेठ सेठानी ने नाँय माँय देखो उर भगबे के लाने छबला उठाये। कलेवा वारौ छबला भौतई गरओ हो गओ तौ। सेठानी की मदद सैं सेठ नेऊ छबला खौं उठाकैं चल दये। सेठानी एक छबला मूँढ़ पै धर कैं चल दई। गरये के मारै सेठ जी की जीभ कड़ी आ रई ती। जैसे-तैसे हराँ-हराँ मीलई भर नई चल पाये ते कैं भुन्सराँ हो गओ।
एक कुंआ की पाट पै दोई छबला उतार कैं धर दये। दोई जनन ने मौहात धोकै जइसैं कलेवा के छबला कौ ढक्कन खोलो, सोऊ ऊमें सैं मोहन बायरैं कड़ परे। देखतनई सेठ-सेठानी के सटन नारे छूट गये। उर सेठ बोले कै काय भइया अब तुम का करन चाऊत। मोहन बोले कै तुम दोई जने दुककै भग रये ते। हम उतै भूके प्यासे डरे-डरे का करते।
सेठ जी बोले कै अब हम तुमें राखन नई चाऊत। ठीक है नई राखों। तुमें अपनी शर्त की खबर है। अपने नाक-कान कटबाब उर सूदे जाँ जाने होय सो चले जाव। अब सेठ जी करई का सकत ते। बोले कैं काट लो भइया नाक कान। मोहन ने सेठ जी के नाम कान काटे उर कन लगे कै देखो अब ऐसौं काऊ के संगै व्योहार नई करियौ। जेई सीख दैबे की लानें हम तुमाये इतै काम करबे आये ते। सेठ जी खून बुआऊत, अंसुआ पोंछत मौगे चाले बैठकै रै गये। बाढ़ई ने बनाई टिकटी उर हमाई किसा निपटी।