बुन्देलखण्ड का वो भूभाग जिसे डायमंड सिटी, मंदिर, झरनों की नगरी पन्ना। मध्य प्रदेश के पन्ना जिले के पहाड़ी खेड़ा गांव (कालिंजर किले के पास) में स्थित है देवस्थान… प्राकृतिक स्थल Brihaspati Kund। ऐसा मनोरम और मनभावन प्राकृतिक स्थल जो सैलानियों का मन मोह लेता है।
धार्मिक-पौराणिक और ऐतिहासिक स्थल बृहस्पति कुंड
कहते हैं इस स्थान पर देवताओं के धार्मिक शिक्षक – देवगुरु बृहस्पति ने एक आश्रम की स्थापना की थी और इसलिए इसका नाम Brihaspati Kund बृहस्पति कुण्ड हो गया। इसके साथ पौराणिक आस्था भी जुड़ी हुई है विद्वानों का मानना है कि देवगुरु बृहस्पति ने यहीं यज्ञ किया था। बाद में भगवान प्रभु श्रीराम वनवास अवधि के दौरान अनेक ऋषियों-मुनियों से मिलने के लिए यहां आए थे। इस लिये यह स्थान पवित्र और पावन है। जहां देश और दुनिया के लोग अपना शीश नवाते हैं और आशीष पाते हैं।
बृहस्पति कुंड Brihaspati Kund पन्ना जिले (मध्य प्रदेश) के पहाड़ी खेरा गाँव में स्थित है। पहाड़ी खेड़ा गांव से बृहस्पति कुंड की दूरी दक्षिण की ओर लगभग 6 किमी है। जो कालिंजर के पास है। यह पन्ना से 37 किमी, बांदा से 85 किमी और कालिंजर किले से 29 किमी दूर है ।400 फीट ऊंचा बृहस्पति कुंड जलप्रपात, जिसे भारत का नियाग्रा जलप्रपात भी कहा जाता है। यह बुंदेलखंड के सबसे खूबसूरत जगह मे से है।
यहां से बघिन (बाघिन) नदी घाटी और झरनों की प्राकृतिक सुंदरता देख सकते हैं। यह अपने अद्वितीय प्राकृतिक परिदृश्य और अद्भुत जलप्रपात के लिए प्रसिद्ध है। यह क्षेत्र हरियाली, हीरा और हरि (भगवान) की अनुपम सम्पदा से परिपूर्ण है।
इस जगह पर पौराणिक, ऐतिहासिक, सांस्कृतिक संदर्भ पाए पाये गये हैं। यहाँ के आसपास प्राचीन शैल चित्रकला के प्रमाण मिले हैं जो शिकार और जनजातीय सभा जैसी मानवीय गतिविधियों को दर्शाते हैं। यह पूर्व-ऐतिहासिक काल के दौरान जनजातियों द्वारा उपयोग किए जाने वाले शिकार उपकरण के रूप में धनुष, भाला,तीर-कमान आदि के उपयोग को भी दर्शाते है। ये मानव सभ्यता के पर्याप्त प्रमाण हैं जो साबित करते हैं मानव सभ्यता इन्ही घाटी, जलासय के आसपास विकसित हुई।
बृहस्पति कुंड के निकटतम रेलवे स्टेशन
Nearest Railway Station to Brihaspati Kund
बृहस्पति कुंड पहुचने के लिये सड़क मार्ग बांदा, अतर्रा और करवी (चित्रकूट) उत्तर प्रदेश निकटतम रेलवे स्टेशन हैं। बांदा से बृहस्पति कुंड की दूरी नरैनी और कालिंजर के माध्यम से 85 कि.मी. है। अतर्रा (बांदा) उत्तर प्रदेश से इसकी दूरी 64 किमी और करवी (चित्रकूट) उत्तर प्रदेश 75 किमी है। सतना से सड़क मार्ग द्वारा बृहस्पति कुंड की दूरी 68 कि.मी. है और पन्ना से दूरी 37 कि.मी. है।
पन्ना में बृहस्पति कुंड के आसपास का यह क्षेत्र विंध्य पर्वत श्रृंखला का हिस्सा है । बृहस्पति कुंड जलप्रपात की ऊंचाई 400 फीट (लगभग) और चौड़ाई 200 फीट (लगभग) है
बृहस्पति कुंड Brihaspati Kund में झरने का स्रोत बघियन नदी है, जिसका उदगम स्थल पन्ना की पहाड़ियों में है, बांदा जिले में उत्तर प्रदेश में प्रवेश करती है, और पैसूनी (चित्रकूट में मंदाकिनी के रूप में भी जाना जाता है) के साथ कुछ दूरी तक चलती है। यमुना नदी, यह बांदा जिले को चित्रकूट से अलग करती है। यह बघेन नदी के सात कुंडों में से एक है, अन्य 6 कुण्ड मे सूरज कुण्ड, गुफा कुण्ड, सुखा कुण्ड, हत्यारा कुण्ड, वेधा कुण्ड और पटालिया कुण्ड हैं।
बृहस्पति कुंड जलप्रपात, पन्ना – मध्य प्रदेश (बुन्देलखण्ड)
Brihaspati Kund Water Falls, Panna –
Madhya Pradesh (Bundelkhand)
बृहस्पति कुंड जलप्रपात के आस-पास रॉक शेल्टर की छत पर और पास के एक पुराने मंदिर की दीवारों पर कई प्राचीन रॉक पेंटिंग (पत्थर पर उकेरे गए चित्र) जिसे देख कर सहज अंदाज़ा लगाया जा सकता है। ये पत्थरों पर की गई चित्रकारी हमारी आदिकालीन आदिवासी सभ्यता की एक झलक है। उन आदिवासी जनजातियों द्वारा शिकार के लिये उपयोग किए जाने वाले उपकरण के रूप में धनुष और तीर के स्पष्ट प्रमाण देख सकते हैं । ये पत्थरों की दीवार पर उकेरे हुए चित्र हमारी विरासत हैं ।
बृहस्पति कुंड का प्रकृतिक दृश्य
Natural view of Brihaspati Kund
बाघिन नदी के प्रवाह क्षेत्र पर बना Brihaspati Kund का मनोरम प्राकृतिक दृश्य मन को भावविभोर कर देने वाला है, मंत्रमुग्ध कर देने वाला है। बरसात के मौसम में घोड़े के नाल की आकृति लिये जब बाघिन नदी इठलाते हुये गहरी घाटी में गिरती है, तब उसे देखकर जिस तरह की अनुभूति होती है उसे बयां कर पाना कठिन है। जिसकी अनुभूति की जा सकती है जिसे शब्दों में बयां करना मुमकिन नहीं है प्रकृति का वरदान जल प्रवाह और प्रपात का ऐसा मनभावन संगीत उभरता है जो मन से होता हुआ नसों में समा जाता है अंग अंग मे स्फूर्ति भर देता है।
बुंदेलखण्ड पन्ना का बृहस्पति कुंड जलप्रपात का यह क्षेत्र प्राकृतिक रूप से तो मनमोहक है ही पर यह धार्मिक-पौराणिक और ऐतिहासिक रूप से भी बहुत महत्वपूर्ण है । एक कथा के अनुसार देवगुरु बृहस्पति ने यहां पर यज्ञ किया था । ऋषि मुनियों के यहां अनेक आश्रम भी रहे हैं। त्रेता युग में भगवान श्रीराम अपने वनवास काल में माता सीता और भ्राता लक्ष्मण के साथ यहाँ ऋषि-मुनियों के दर्शन करने आये थे । यहाँ की गुफाओं और चट्टानों पर आदिमानवों द्वारा हजारों साल पहले बनाये गये शैलचित्र आज भी उपस्थित हैं। अधिकांश शैलचित्रों में शिकार करते हुये आदिमानवों की उन गतिविधियाँ और वन्य जीवों के चित्र उकेरे गये हैं।
बुंदेलखण्ड पन्ना का बृहस्पति कुंड जलप्रपात का यह भूभाग आर्थिक महत्व के रूप में भी अग्रणी है। इस जलप्रपात के आस-पास हीरे की अनेक खदानें भी हैं जहाँ बड़ी संख्या में लोग अपनी किस्मत आजमाने के लिये यहां आते हैं मन की चाहत मे बेशकीमती हीरों की तलाश करते हैं।
बृहस्पति कुंड जलप्रपात प्राकृतिक मनोरम स्थल है रत्नगर्भा बाघिन नदी इसी कुण्ड पर गिरती है। जिसके कारण इस नदी के प्रवाह क्षेत्र में कई किमी की लम्बाई में बेशकीमती हीरे निकलते हैं। इन्हीं हीरों की खोज में यहां पर सैकडों की संख्या में अवैध हीरा की खदानें चल रही है।
बृहस्पति कुंड जलप्रपात के इस गहरे कुण्ड में अनेकों प्राचीन गुफायें भी स्थित हैं। कहते है कि इन गुफाओं के भीतर ऋषि मुनि तपस्या में लीन रहा करते थे। बृहस्पति कुण्ड के पास विद्यमान आश्रम भी इस ओर इशारा करता है कि किसी समय यह क्षेत्र प्राकृतिक सुन्दरता के साथ-साथ धार्मिक आस्था का केन्द्र भी रहा है।
मकर संक्रान्ति के अवसर पर बृहस्पति कुंड जलप्रपात के पास विशाल मेला भी लगता है। जहां पर दूर-दराज गांव के लोग एकत्र होते हैं। मेले में तरह-तरह की मनोरंजन के साधन होते हैं बड़े हर्षोल्लास के साथ सभी मेले में जाते हैं खरीददारी करते हैं।
इस पुरातात्विक महत्व वाले मनोरम स्थल के बारे मे जानकारों का कहना है कि बृहस्पति कुण्ड के आस-पास के जंगलों में दुर्लभ किस्म की आयुर्वेदिक जड़ी बूटियां प्राकृतिक रूप में प्रचुरता से पाई जाती हैं। इन जड़ी बूटियों की खोज में आयुर्वेद के ज्ञाता व वैद्य यहां दूर- दूर से आते हैं।
अभी इसका विज्ञान नही लिखा गया है!